भारतीय खुफिया जांच एजेंसियों द्वारा पंजाब (Punjab) की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर काफी चिंता व्यक्त की गई है. एजेंसी सूत्रों के मुताबिक, पंजाब में बढ़ रहे खालिस्तान (Khalistan) के प्रभाव से वो काफी ज्यादा चिंतित हैं और विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो एक बड़ा इनपुट एजेंसियों को मिला है. उसपर एक रिपोर्ट भी तैयार की गई है जिसको केंद्र की सभी महत्वपूर्ण एजेंसियों और भारत के गृह मंत्रालय से साझा किया गया है. सूत्रों के मुताबिक, इसमें यह स्पष्ट है कि खालिस्तान की आग की लपटों को कुछ सियासतदान अपने निजी फायदे के लिए काफी हवा दे रहे हैं यानी यह साफ है कि वह खालिस्तान को अपने मतलब के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं और पंजाब को फिर उसी आतंकवाद की आग में झोंकने के लिए देश विरोधी ताकतों का समर्थन कर रहे हैं. जो कि आतंकवाद के कैंसर को पंजाब में दोबारा वैसे ही जीवित कर देगा जैसा कि 1980 और 1990 के दशक में था.
खालिस्तान पर पंजाब की सियायत मौन
बता दें कि इस बात को लेकर पंजाब में सक्रिय सियासत के नेता भी मौन नजर आ रहे हैं और इस संबंध में बात भी करने को तैयार नहीं हैं. आपको बता दें कि पंजाब में खालिस्तान की आग की लपटों को कहां से समर्थन मिल रहा है, इसको लेकर जांच शुरू हो चुकी है. कुछ सियसात दान एजेंसियों की राडार पर भी हैं, जिनके खिलाफ कभी भी कार्रवाई हो सकती है. सूत्रों का कहना है कि साझा किए गए इनपुट में यह बात सामने आई है कि इस तरह का अलगाववाद बिना सियासी गठजोड़ के आगे नहीं बढ़ सकता, इसमें यह बात भी स्पष्टता से लिखी है कि देश विरोधी साजिशें रच रहे आतंकवादियों को पूरा स्थानीय समर्थन भी मिल रहा है. इसके कुछ पुख्ता सबूत एजेंसियों को मिले हैं.
खालिस्तान को मिल रहा समर्थन
आपको बता दें कि पंजाब को लेकर केंद्र सरकार की जांच एजेंसियां बहुत सतर्क हैं. जिस तरह के इनपुट एजेंसियों को मिले हैं उसका वर्णन भी किया गया है कि पंजाब में ऐसे हालात उत्पन्न किए जा रहे हैं जिससे कि पंजाब में दोबारा से आतंकवाद का माहौल पैदा हो जाए. यह बात काफी चिंताजनक है कि खालिस्तान की लपटों को कहां से समर्थन मिल रहा है. लेकिन उससे भी परेशानी वाली बात यह है कि इस समय पंजाब में खुलेआम खालिस्तान के नारे लग रहे हैं और आतंकवादी समर्थक जो खुलेआम देश को तोड़ने की बात कर रहे है वो आजाद घूम रहे हैं. ऐसे में चाहे वो गर्मदली दल खालसा ग्रुप के सदस्य हों, या फिर एसएफजे के गुरपतवंत सिंह पन्नू की बात हो, और फिर चाहे नया उभरा खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह संधू, जो खुद को सिख प्रचारक एवं आतंकी जरनैल सिंह भिंडरांवाले का समर्थक बताता है.
'वारिस पंजाब दे' ने बढ़ाई चिंता
यह जोखिम और भी कई गुना ज्यादा तब बढ़ जाता है, जब ऐसे मामलों पर सियासत की तरफ से 'मौन' धारण कर लिया गया हो. अमृतपाल सिंह खुलेआम खालिस्तान का समर्थन कर रहा है. सरकार की ओर से कोई सख्ती नजर नहीं आ रही जैसी कि इन मामलों में अपेक्षित है. 'वारिस पंजाब दे' संगठन से जुड़े अमृतपाल सिंह कहता है कि वह हर उस इंसान के साथ है, जो खालिस्तान का समर्थन करता है. एसजीपीसी को केंद्र के हिसाब से नहीं, बल्कि अपने संविधान के मुताबिक चलना चाहिए. विदेश में बैठे आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के बारे में संधू ने कहा कि सरकार किसी को भी आतंकी घोषित कर देती है. आज भी सब पंजाबी गुलाम हैं. जो लोग सोचते हैं कि हम आजाद हैं, उन्हें डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
इस तरह की बातें करने वाले संधू को लेकर पंजाब सरकार चुप है. इतना ही नहीं दल खालसा ग्रुप तो खुलेआम सड़कों पर मार्च निकालते हैं, सफाई करते हैं और उसमें खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हैं. इन सबसे बड़ा प्रतिबंधित संगठन एसएफजे का आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू तो खुलेआम किसी को भी धमकी देता है. ज्ञात रहे कि पन्नू ने किसान आंदोलन में भी लोगों को काफी भड़काया था और उसके वीडियो संदेश के बाद इतनी बढ़ी है कि हिंसा दिल्ली के लाल किला और अन्य स्थानों पर भड़की. अब उसका निशाना राहुल गांधी भी हैं और हाल ही में उसने राहुल को भी एक वीडियो संदेश जारी कर के धमकी दी है और राहुल की भारत जोड़ो रैली में हंगामा करने वाले को एक मिलियन डॉलर का इनाम देने का भी वादा किया है.
इतना ही नहीं सिमरनजीत सिंह मान जो कि पंजाब के संगरूर से लोकसभा सांसद चुने गए हैं, वो भी खुलेआम खालिस्तान का समर्थन करने वालों में सबसे ऊपर हैं. आपको बता दें कि रिपोर्ट में यह साफ लिखा है कि पंजाब की तरफ से इस तरह की आतंकवादी घटनाओं का फन कुचलने के लिए 'केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों' को अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा है. ऐसी संभावना भी है कि आने वाले समय में केंद्रीय सुरक्षा एवं जांच एजेंसियों की कार्रवाई, पंजाब में केंद्र की मदद से और भी ज्यादा बढ़ सकती है. केंद्र सरकार के विश्वस्त सूत्रों ने बताया है कि रिपोर्ट में साफ लिखा है कि खालिस्तान अलगाववाद या आतंकवादी घटना, इसीलिए फल फूल रही हैं, क्योंकि अलगाववादी लोगों को ज्यादा से ज्यादा कोई राजनीतिक समर्थन दे रहा है.
इसीलिए ज्ञात रहे कि बीते मंगलवार 27 दिसंबर को हमारे सूत्रों से मिली जानकारी में यह स्पष्ट हुआ है कि देश की एजेंसी एनआईए जल्द पंजाब में कुछ सियासतदानों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है और खास तौर पर पंजाब के सरहदी इलाकों में. सूत्रों के मुताबिक, पंजाब में इस साल सीमा पार से लगभग 258 ड्रोन आ चुके हैं. जिसमें 22 मार गिराए गए, लेकिन न पकड़ में आने वाले ड्रोन की तादाद काफी ज्यादा है. हालांकि मौजूदा संसाधनों में बीएसएफ अपना काम पूरी मुस्तैदी से कर रही है, लेकिन हर थाना क्षेत्र में सीमा सुरक्षा बल नहीं है. सर्च या अरेस्ट करने के लिए बीएसएफ का दायरा बढ़ाया गया है, इसका कुछ हद तक बीएसएफ को फायदा मिल रहा है.
पंजाब में मोहाली स्थित पुलिस के इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर पर हमला हो चुका है. खुफिया एजेंसियों का अलर्ट आने के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा से 40 किलोमीटर दूर सरहाली थाने पर राकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (आरपीजी) से हमला हो गया. इसकी जिम्मेदारी भी खालिस्तान समर्थक आतंकियों ने ली है. राज्य के विभिन्न इलाकों में खालिस्तान के पोस्टर बैनर टंगे हुए देखे गए हैं. आपको हमने सबसे पहले ज़ी न्यूज़ के माध्यम से बताया था कि अब नए साल पर केंद्रीय एजेंसी का अलर्ट जारी हुआ है कि पंजाब में थानों पर आरपीजी से हमला हो सकता है.
सूत्रों का कहना है, केंद्रीय एजेंसियों को कथित तौर पर इनपुट साझा किया है कि पंजाब सरकार की ओर से उतना सहयोग नहीं मिल रहा है जितना कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जरूरी होता है. एनआईए को खुद से आतंकवाद से जुड़े किसी केस में घुसना पड़ता है. पंजाब सरकार की ओर से उस बाबत कोई मांग नहीं की जाती. हालांकि अब एनआईए को किसी केस की जांच करने के लिए स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार मिल गया है. वहीं एनआईए इन दिनों नेशनल टेररिस्ट डेटाबेस पर काम कर रहा है और इसके अगले साल के पहले हफ्ते से ही शुरू होने की उम्मीद है. इससे आतंकी गतिविधियों को समय रहते पकड़ने में मदद मिलेगी.
पंजाब में बीते एक वर्ष के दौरान आतंकवाद से जुड़े कई मामले सामने आए हैं, मगर वहां की सरकार ने बहुत कम अवसरों पर ऐसा कहा है कि फलां मामले की जांच हम एनआईए को सौंपते हैं. ये किसी से नहीं छिपा है कि पंजाब में ड्रग का दौर किसके समर्थन से आया है. आज ड्रग, खालिस्तान और आतंकी घटनाएं, क्यों बढ़ रही हैं. संभव है कि आने वाले समय में पंजाब में केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका बढ़ जाए. एनआईए ने इस साल विभिन्न मामलों में 73 केस दर्ज किए हैं. इनमें बहुत से मामले एनआईए ने खुद अपने हाथ में लिए हैं. पिछले कई वर्षों में यह सर्वाधिक संख्या है. इससे पहले केस दर्ज करने का आंकड़ा साठ के आसपास रहता था. पीएफआई मामले में ही सात केस दर्ज हुए हैं. गैंगस्टर को लेकर तीन मामले दर्ज हुए हैं और अब सियासत से जुड़े लोगों का भी इनपुट उनके पास है जो आतंकवाद की मदद कर रहे है.
पंजाब में शिवसेना नेता सुधीर सूरी की दिन दहाड़े हत्या हो जाती है. कई शहरों में खालिस्तान के पोस्टर लग जाते हैं. कनाडा और यूएस से अपनी गतिविधियां चला रहे सिख फॉर जस्टिस के संस्थापक एवं खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ इंटरपोल द्वारा रेड कॉर्नर नोटिस जारी नहीं किया जाता. यह सरकार के हाथ में है कि इस उग्रवाद को आगे बढ़ाना है या उसे वहीं खत्म करना है. कोई खुद को दूसरा भिंडरावाला बता रहा है, तो यह छोटी बात नहीं है. सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में यह साफ लिखा है कि कुछ सियासतदानों की ओर से पंजाब में खालिस्तान अलगाववाद के लिए जमीन तैयार की जा रही है. इसे किसी पार्टी, स्थानीय संगठन या विदेश में बैठे कुछ लोगों का समर्थन मिल रहा है.
नशा और बेरोजगारी, इन मुद्दों की आड़ में आसानी से युवाओं को इनके द्वारा बरगलाया जा रहा है जो कि केवल प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के लिए भी काफी खतरनाक साबित हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक, इस रिपोर्ट के बाद हालांकि केंद्र सरकार ने पंजाब को लेकर काफी गंभीरता दिखाई है. पंजाब में खालिस्तान एवं अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए जो जबरदस्ती जमीन तैयार करने का प्रयास हो रहा है, उसके लिए केंद्र जल्द ही अपनी सुरक्षा एजेंसियों को मैदान में उतरेगी. भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसियां, पाकिस्तानी आईएसआई, खालिस्तान उग्रवाद और स्थानीय सियासत दानों पर पैनी नजर रख रही जा रही हैं.