परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के बलिदान पर पूरा देश नाज करता है, लेकिन चंदौली के दुलहीपुर मुगलसराय के सनबीम स्कूल की नजर में उनके बलिदान की कोई कद्र नहीं है। पिछले दिनों सीएम से मिलकर अब्दुल हमीद के पुत्र जैनुल हसन व पोते मोहम्मद परवेज ने कक्षा नौ में पढ़ने वाली अपनी बिटिया लारेब हसन की फीस माफी का अनुरोध किया था। सीएम ने सहानुभूति के आधार पर चंदौली के डीएम को कार्रवाई के लिए आदेश दिया था। डीएम ने भी डीआइओएस चंदौली के माध्यम से स्कूल को इसका पत्र भेजा, लेकिन स्कूल फीस लेने पर अ़ड़ा हुआ है।
18 जुलाई को बलिदानी अब्दुल हमीद के बड़े पुत्र जैनुल हसन व पोते मोहम्मद परवेज सीएम योगी से मुलाकात चंदौली के दुलहीपुर मुगलसराय के सनबीम स्कूल में कक्षा नौ में पढ़ने वाली बेटी लारेब हसन की कक्षा 12 वीं तक फीस माफी का आग्रह किया था। सीएम कार्यालय ने चंदौली के डीएम को कार्रवाई के निर्देशित किया। डीएम के निर्देश के बाद चंदौली के जिला विद्यालय निरीक्षक ने 23 जुलाई को सनबीम स्कूल दुलहीपुर के प्रधानाचार्य को पत्र भेजकर लारेब की फीस माफी पर कदम उठाने के लिए कहा। लारेब की कल यानि सोमवार से ही परीक्षा शुरू होने वाली है। इसी बीच स्कूल ने उससे फीस की डिमांड शुरू कर दी है। लारेब के पिता और वीर अब्दुल हमीद पोते मोहम्मद परवेज इसको लेकर काफी परेशान हो गए हैं। उन्हें बेटी का नाम कटने का डर सता रहा है।
वेतन कटौती से जमा नहीं कर पा रहे बेटी की फीस : मोहम्मद परवेज सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस में देवरिया में तैनात है। उनकी बेटी चंदौली में पढ़ती है। बताया कि पिछले एक साल से वेतन का आधा हिस्सा 75 सौ ही मिलता है। इस कारण आर्थिक तंगहाली पैदा हो गई है। कक्षा एक से उनकी बेटी उस स्कूल में पढ़ रही है। अब तक वह पूरी फीस देते रहे हैं।
1965 के भारत-पाक युद्ध में बलिदान हुए थे अब्दुल हमीद : वर्ष 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाक से अपराजेय माने जाने वाले आठ अमेरिकन पैटन टैंक को वीर अब्दुल हमीद ने अकेले ही ध्वस्त कर दिया। 10 सितंबर 1965 को अब्दुल हमीद ने देश के लिए बलिदान दिया था। मरणोपरांत उन्हें सबसे बड़ा वीरता पदक परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। अब्दुल हमीद को ''टैंक डिस्ट्रॉयर'' के नाम से भी जाना जाता है।
बोले अधिकारी : परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद की परपोती लारेब हसन के शुल्क माफी का मामला संज्ञान में है। शुल्क माफ करने के लिए सनबीम स्कूल के प्रधानाचार्य को पत्र लिखा गया है। इसके बाद भी यदि शुल्क माफ नहीं किया तो मैं खुद स्कूल जाकर माफ कराऊंगा। - डा. वीपी सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक चंदौली।