दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी के पूर्व सांसद ताहिर हुसैन के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अदालत में पेश किए सबूतों, गवाहों के बयान से साफ है कि पहली नज़र में ताहिर हुसैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनता है और साजिश के तहत जुटाई गई रकम का इस्तेमाल दंगों में किया गया.
ताहिर हुसैन के खिलाफ ED का केस
ताहिर हुसैन के खिलाफ ED का केस ये था कि हुसैन ने सहयोगियों के साथ मिलकर SEAPL, ECPL और EGSPL नाम की तीन कंपनियों के ज़रिए पैसे का लेन देन किया. करीब 1.5943 करोड़ रुपये अलग-अलग बोगस कंपनियों के रास्ते आखिर में ताहिर हुसैन तक पहुंचे और इस पैसे का इस्तेमाल फरवरी 2020 में नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में दंगे भड़काने में इस्तेमाल किया गया.
'दंगाइयों को ताहिर हुसैन ने फंडिंग की'
सरकारी वकील की ओर से कोर्ट को बताया गया कि ताहिर हुसैन ने CAA विरोधी प्रदर्शनों और दंगों को फंडिंग की. वो इस दरमियान कई बार दंगाइयों से मिला और उनको पैसा दिया. CAA विरोधी प्रदर्शनों की आड़ में दिल्ली को दंगों में झोंकने के लिए ताहिर और उसके साथियों ने जो साजिश रची, उसकी पृष्ठभूमि उसने अपने ही नियंत्रण वाली कंपनियों से फर्जी लेनदेन के जरिये तैयार किए. फर्जी दस्तावेजों / बोगस कंपनियों के जरिये हुए इस पैसे के लेनदेन के पीछे असल दिमाग़ ताहिर हुसैन का ही था.
ताहिर हुसैन की भूमिका शक के दायरे में
कोर्ट ने ED की ओर से पेश दलीलों से सहमति जताते हुए अपने आदेश में कहा कि इस मामले में ताहिर हुसैन की भूमिका पर शक पैदा करने के लिए पुख्ता सबूत है, जिसके आधार पर ताहिर हुसैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप तय करके मुकदमा आगे बढ़ाया जा सके.