अचानक आई बाढ़ के चलते तीन दिनों तक निलंबित रहने के बाद अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) सोमवार को बहाल हो गयी, जबकि जम्मू कश्मीर प्रशासन (Jammu and Kashmir Administration) ने कहा कि नुकसान के बारे में मंगलवार तक स्पष्ट तस्वीर सामने आएगी.
‘जोखिम वाली’ जगह पर तीर्थयात्री शिविर लगाने के आरोपों पर राजभवन के प्रवक्ता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि पहले आयीं आकस्मिक बाढ़ को योजना बनाते वक्त ध्यान में रखा गया था, लेकिन शुक्रवार का ‘‘सैलाब‘‘ अनुमान से ज्यादा था और पहले ऐसा कभी नहीं देखा गया था.
पवित्र अमरनाथ गुफा दक्षिण कश्मीर में 3880 मीटर की ऊंचाई पर है. जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) के अध्यक्ष हैं, जो वार्षिक अमरनाथ यात्रा का प्रबंधन संभालता है. पिछले दिनों अमरनाथ यात्रा के दौरान बादल फटने की घटना में 15 लोगों की मौत हो गयी.
प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि नदीतल पर टेंट कभी लगाये नहीं गये और असल में लोगों की सुरक्षा के लिए उन्हें इस साल तैयार किये गये तटबंध से भी दूर ले जाया गया.
अधिकारी ने कहा, ‘‘ इस साल टेंट लगाने की योजना बनाते समय एसएएसबी ने 2021 और 2015 में आयी आकस्मिक बाढ़ को ध्यान में रखा था. सुरक्षा बांध बनाने की प्रक्रिया अक्टूबर, 2021 में शुरू हुई थी , उससे पहले विशेषज्ञों के साथ चर्चा की गयी और पिछले साल अगस्त में आयी आकस्मिक बाढ़ को ध्यान में रखा गया.’’
प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ पिछले साल एवं 2015 की आकस्मिक बाढ पर चर्चा हुई और उसे संज्ञान में लिया गया एवं अनुमानित जलस्तर के आधार पर तटबंध निर्माण जैसे एहतियाती कदमों का फैसला किया गया.’’
उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन पिछले शुक्रवार को जो पानी की तेज धार आयी, वह अनुमान से अधिक थी और वैसा कभी नहीं देखा गया था.’’
यह स्पष्टीकरण ऐसे समय आया है जब आरोप लग रहे हैं कि बोर्ड ने इस साल गुफा के बाहर नदी के शुष्क तल पर लंगर और टेंट लगाते समय पिछले साल 28 जुलाई को हुई बादल फटने की घटना की अनदेखी की.