दिल्ली हाई कोर्ट ने मुंडका इलाके में सीवर की सफाई के दौरान मौत का शिकार हुए दो लोगों के घरवालों को मुआवजा न मिलने पर गहरी नाराजगी जाहिर की है. 6 अक्टूबर को कोर्ट ने डीडीए को हादसे के शिकार लोगों के परिजनों को 10 लाख का मुआवजा देने का निर्देश दिया था, लेकिन कोर्ट को बताया गया कि इस आदेश के मुताबिक पीड़ितों के परिजनों को मुआवजा नहीं मिला है.
'डीडीए का रवैया पूरी तरह असंवेदनशील'
चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने डीडीए के रवैए को असंवेदनशील करार दिया. चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने कहा कि ये वो लोग थे जो हमारी ज़िंदगी को आसान बनाने के लिए काम कर रहे थे और ऑथोरिटी उनसे जिस तरह से पेश आ रही है, ये दुर्भाग्यपूर्ण है. ये देखकर मेरा शर्म सिर से झुक गया है.
डीडीए की सफाई
कोर्ट ने ये टिप्पणी उस वक्त की जब डीडीए की ओर से उनके वकील ने बताया कि पीड़ित परिवार का मुआवजा देना डीडीए का काम नहीं है, यह दिल्ली सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है. आज कोर्ट को बताया गया कि अभी तक दिल्ली सरकार की ओर से भी दोनों पीड़ित परिवार को एक एक लाख का ही मुआवजा मिला है. कोर्ट ने डीडीए को 15 दिन के अंदर इस बारे में उचित आदेश पास करने को कहा. इसके साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार को बाकी का 9 लाख का मुआवजा भी दोनों परिवार को देने को कहा.
दो लोगों की मौत हुई थी
मुंडका इलाके में नौ सितंबर को रोहित चांडिलिया की सीवर की सफाई के दौरान जहरीली गैस के चलते मौत हो गई थी. इलाके के गार्ड अशोक कुमार ने गड्ढे के अंदर जाकर उन्हें बचाने की कोशिश की पर दम घुटने से उनकी भी मौत हो गई थी. दिल्ली हाई कोर्ट ने इस घटना पर स्वतः संज्ञान लिया था.