कहते हैं कि अगर किसी की कुंडली में काल सर्प दोष बन जाता है तो उसका पूरा जीवन चुनौतियों से भर जाता है. ऐसे लोग जो भी काम शुरू करते हैं, उसमें उन्हें असफलता देखनी पड़ती है. परिवार में कलह और बीमारी का खतरा उन्हें अलग सताता है. बाहर निकलते हुए दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है. ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि कुंडली में काल सर्प दोष को कम करने के लिए कुछ विशेष उपाय कर लेने चाहिए वरना जातक बड़ी परेशानी में पड़ सकता है.
कैसे बनता है काल सर्प दोष?
जब कुंडली में राहु और केतु के बीच में बाकी सभी ग्रह आ जाते हैं तो उससे कालसर्प दोष लग जाता है. इसके चलते कारोबार में मेहनत के बावजूद उसका उतना फल नहीं मिलता. नौकरी करते हुए कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. घर में क्लेश शुरू हो जाता है. मन में नकारात्मक विचार आने लगते हैं. प्रेम संबंधों में बाधा आ जाती है.
कुंडली में काल सर्प दोष को दूर करने के उपाय
मिट्टी से महादेव के सवा लाख शिवलिंग बनाकर उनकी नियमित रूप से पूजा करें. इसके साथ ही 1100 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना न भूलें. अगर सवा लाख महादेव नहीं बना पा रहे हैं तो केवल महामृत्युंजय मंत्र का भी जाप कर सकते हैं.
प्रत्येक सोमवार को रूद्राभिषेक करना सुनिश्चित करें. भोले शंकर के शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद कुछ देर वहां बैठकर मन ही मन में उनकी आराधना करें और परेशानियों से मुक्ति दिलाने की गुहार लगाएं. आप सावन के महीने में उनका रुद्राभिषेक भी करवा सकते हैं.
राहु-केतु के बीज मंत्रों का करें उच्चारण
कुंडली में काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए राहु और केतु के बीज मंत्रों का सवा-सवा लाख उच्चारण करें. राहु का बीज मंत्र ॐ रां राहवे नमः है. जबकि केतु का बीज मंत्र ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः है. इन दोनों बीज मंत्रों के उच्चारण से सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं.
काल सर्प दोष से निजात पाने के लिए सोमवार के दिन भगवान शिव को नाग-नागिन का जोड़ा अर्पित कर दें. ऐसा करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और जीवन में आ रही परेशानियों को हर लेते हैं.