ग्रहों के अशुभ प्रभावों को कम करने और शुभ प्रभावों को बढ़ाने के लिए रत्न शास्त्र में कई रत्नों के बारे में बताया गया है. हर राशि के लिए अलग रक्न होता है. कहते हैं कि रत्न कभी भी ज्योतिष की बिना सलाह के धारण नहीं करने चाहिए. आज हम बात करने जा रहे हैं खूनी नीलम या ब्लू स्फायर स्टोन की. ये रत्न शनि और मंगल की युति के लिए पहना जाता है. ज्योतिष अनुसार ये रत्न शनि और मंगल का प्रतिनिधित्व करता है. ऐसे में इसे धारण करने से पहले इसके नियम और फायदों के बारे में जान लेना बेहद जरूरी है.
ऐसा दिखता है खूनी नीलम
रत्न शास्त्र के अनुसार खूनी नीलम देखने में गुलाबी या खून जैसे लाल रंग के धब्बे वाला होता है. इसलिए इसे खूनी नीलम कहा जाता है. इसे रक्तांबरी नीलम के नाम से भी जाना जाता है. इस रत्न को लेकर मान्यता है कि ये रत्न पहनते ही अपना असर दिखाता है. लेकिन इसे कुंडली देखने के बाद ही धारण करने की सलाह दी जाती है.
खूनी नीलम धारण करने के लाभ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार खूनी नीलम पहनने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. इसके साथ ही, व्यक्ति को व्यापार में सफलता प्राप्त होती है. इसे धारण करने से व्यक्ति की कार्यशैली में निखार आता है. साथ ही, व्यक्ति के सोचने की क्षमता में विकास उत्पन्न होता है.
इन लोगों को करना चाहिए धारण
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रत्न हमेशा किसी ज्योतिष की सलाह से ही धारण करने चाहिए. बता दें कि किसी भी जातक की कुंडली में वृश्चिक लग्न और मकर राशि हो और मंगल छठे, आठवें या बारहवें स्थान पर होने पर ये रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है.
- इसके अलावा, मेष और मकर लग्न हो और शनि में मंगल की अंतर्दशा चल रही हो तो भी इस रत्न को पहना जा सकता है.
- मकर लग्न और मकर ही राशि हो. मंगल चौथे, 8 वें और 12वें घर में विराजमान हो और शनि इन स्थानों में ना हो तो भी खूनी नीलम पहना जा सकता है.
खूनी नीलम धारण करने की विधि
रत्न ज्योतिष के अनुसार खूनी नीलम कम से कम 5 या सवा 7 रत्ती का खरीदना चाहिए. इसके अलावा, खूनी नीलम पंच धातु में जड़वाकर भी धारण किया जा सकता है. इसे दाएं या बाएं हाथ की मध्यमा उंगली में पहन सकते हैं. ज्योतिष अनुसार इसे पहनने के लिए किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष का शनिवार शाम का समय उत्तम माना गया है.