ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि के अशुभ होने पर व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. वहीं शुभ होने पर व्यक्ति का सोया हुआ भाग्य भी जाग जाता है. शनि के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए करें ये काम.
शनि के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए हर व्यक्ति कुछ न कुछ उपाय करता है. ताकि जीवन को सुखमय बनाया जा सके. कुंडली में शनि की स्थिति के आधार पर प्रत्येक राशि के व्यक्ति को शुभ और अशुभ फलों की प्राप्ति होती है. शनिदेव व्यक्ति के अच्छे कर्मों का फल अच्छा और बुरे कर्मों का फल बुरा देते हैं. अगर आप भी शनिदेव के प्रकोप से बचना चाहते हैं तो शनिवार के दिन राजा दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें. इसे मेष राशि से लेकर मीन राशि तक के जातक कर सकते हैं.
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।
प्रसाद कुरु मे देव वाराहोऽहमुपागत।
एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल:।।