देवगुरु बृहस्पति के राशि परिवर्तन का असर हर राशि के जातकों के जीवन में शुभ या फिर अशुभ प्रभाव पड़ता है। बता दें कि इस समय गुरु मेष राशि में विराजमान है। अब चंद्रमा भी मेष राशि में प्रवेश करने वाले हैं। बता दें कि चंद्रमा 17 मई को सुबह 7 बजकर 39 मिनट पर मेष राशि में संचार करेंगे और 19 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 35 मिनट तक रहेंगे। ऐसे में गुरु और चंद्रमा की युति हो रही है। दोनों की युति होने से गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गजकेसरी योग का मतलब है हाथी के ऊपर सवार सिंह। इस योग को बहुत ही शुभ और उत्तम बताया गया है गजकेसरी योग को अत्यंत लाभकारी माना गया है। जानिए किन राशियों को मिल सकता है लाभ।
गजकेसरी योग गुरु और चंद्रमा की युति से बनता है। अगर केंद्र यानी लग्न, चौथे या फिर दसवें भाव में गुरु और चंद्रमा साथ हो, तो यह योग बनता है। इसके साथ गुरु और चंद्रमा अपनी-अपनी उच्च राशि में है, तो इस योग का निर्माण होता है। इसके अलावा मे। लग्न की कुंडली में अगर चंद्रमा चौथे भाव में चंद्रमा साथ में है, तो इस बलवान योग का निर्माण होता है। ऐसे में व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता के साथ धन लाभ मिल सकता है।
गुरु और चंद्रमा की युति मेष राशि में हो रही है। ऐसे में गजकेसरी योग इस राशि के जातकों के लिए काफी खास हो सकता है। इस राशि के लोग राजाओं के तरह रहने का मौका मिल सकता है। हर क्षेत्र में सफलता हासिल होने के साथ-साथ पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति हो सकती है। हर काम में सफलता मिलने के आसार है।
गुरु इस राशि में एकादश भाव में विराजमान है। ऐसे में इस राशि के जातकों को गजकेसरी योग उच्च पद मिल सकता है। इस राशि के जातकों को भाग्य के साथ-साथ कर्मों का फल मिल सकता है। समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा। इसके साथ ही पिता की संपत्ति पर हक मिल सकता है।
इस राशि के जातकों के लिए भी गजकेसरी योग काफी लाभकारी सिद्ध हो सकता है। इस राशि के जातकों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है। आय के नए स्त्रोत खुल सकते हैं। व्यापार में खूब मुनाफा मिलने के आसार है। हर क्षेत्र में लाभ ही लाभ मिल सकता है।