Breaking News
युवती ने शादी के वक्त पति से छुपाई ऐसी बात, पता चलते ही पैरों तले खिसकी जमीन, परिवार सदमे में Best Recharge Plans : Jio ने 84 दिन वाले प्लान से BSNL और Airtel के होश उड़ा दिए, करोड़ों यूजर्स की हो गई मौज Cooking Oil Price Reduce : मूंगफली तेल हुआ सस्ता, सोया तेल की कीमतों मे आई 20-25 रुपये तक की भारी गिरावट PM Kisan Yojana : सरकार किसानों के खाते में भेज रही 15 लाख रुपये, फटाफट आप भी उठाएं लाभ Youtube से पैसे कमाने हुए मुश्किल : Youtuber बनने की सोच रहे हैं तो अभी जान लें ये काम की बात वरना बाद में पड़ सकता है पछताना
Monday, 02 December 2024

Election News

कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कैसे होता है, कौन इसमें वोट दे सकता है, आइए जानते हैं...

02 September 2022 08:06 AM Mega Daily News
अध्यक्ष,कांग्रेस,चुनाव,कमेटी,पार्टी,पीसीसी,समिति,डेलिगेट्स,एआईसीसी,सितंबर,ब्लॉक,प्रतिनिधि,सीडब्ल्यूसी,सदस्य,गांधी,,election,post,congress,president,vote,lets,know

कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव का एलान हो गया है। तय कार्यक्रम के मुताबिक,19 अक्तूबर को कांग्रेस के नए अध्यक्ष का एलान हो जाएगा। 22 सितंबर को चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।नामांकन 24 सितंबर से 30 सितंबर तक दाखिल किए जाएंगे। अगर एक से ज्यादा उम्मीदवार हुए तो 17 अक्तूबर को चुनाव होगा। आखिर कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कैसे होता है? इसके नियम क्या हैं? इसमें कौन-कौन वोट दे सकता है? आइए जानते हैं...

कैसे चुना जाता है कांग्रेस अध्यक्ष?

कांग्रेस में पार्टी अध्यक्ष चुनाव के लिए सबसे पहले केंद्रीय चुनाव समिति गठन किया जाता है। समिति के अध्यक्ष और टीम का फैसला कांग्रेस अध्यक्ष CWC की मदद से करता है। समिति के गठन के बाद वह चुनाव की पूरी प्रक्रिया और शेड्यूल तैयार करती है। जिसमें हर स्तर पर चयन की प्रक्रिया, नामांकन, नाम वापसी से ले कर, स्क्रूटनी, इलेक्शन, नतीजा और जीत के बाद विजेता को सर्टिफिकेट देने तक सबकी तारीख तय होती है।

कांग्रेस में कौन लोग डालते हैं वोट?

कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव की शुरूआत सदस्यता अभियान से होती है। सदस्यता अभियान पूरा होने के बाद बूथ कमेटी और ब्लॉक कमेटी बनाई जाती है। इसके बाद जिला संगठन बनाया जाता है। इन कमेटियों का गठन भी चुनाव के आधार पर किया जाता है। कई बार इन्हें निर्विरोध भी चुन लिया जाता है। ब्लॉक कमेटी और बूथ कमेटी मिलकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रतिनिधि या पीसीसी डेलिगेट्स चुनते हैं। हर ब्लॉक से एक प्रतिनिधि का चुनाव किया जाता है। इसके बाद हर 8 पीसीसी पर एक केंद्रीय कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधि या एआईसीसी डेलिगेट चुना जाता है। एआईसीसी और पीसीसी का अनुपात एक और आठ का होता है। पीसीसी डेलिगेट्स के वोटों से ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष और पार्टी अध्यक्ष के चुनाव किया जाता है।

कौन लड़ सकता है अध्यक्ष का चुनाव?

कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए पार्टी के किसी भी व्यक्ति को बतौर प्रस्तावक 10 पीसीसी डेलिगेट्स का समर्थन हर हाल में चाहिए होता है। उम्मीदवारों के नामों को रिटर्निंग अधिकारी के पास भेजा जाता है और चुनाव के लिए एक तारीख निर्धारित की जाती है। इस बीच नाम वापसी के लिए सात दिन का समय भी दिया जाता है। कांग्रेस पार्टी के संविधान के मुताबिक एक से ज्यादा उम्मीदवार होने पर ही चुनाव होता है और अगर एक ही प्रत्याशी रह जाता है तो उसे ही अध्यक्ष मान लिया जाता है।

कांग्रेस अध्यक्ष का कितना होता है कार्यकाल?

कांग्रेस में हर पांच साल में अध्यक्ष पद का चुनाव होता है। पहले इस पद का कार्यकाल तीन वर्ष का भी रहा है। आपात स्थिति यानि अध्यक्ष के निधन या अचानक उसके इस्तीफा देने पर कार्यकारी समिति पार्टी के सबसे वरिष्ठ महासचिव को अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर जिम्मेदारी देती है, जो अगला पूर्णकालिक अध्यक्ष के चुने जाने तक कमान संभालता है। 

जानें- कांग्रेस में क्या होगी है CWC की भूमिका

कांग्रेस में पार्टी के सभी बड़े फैसले कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) द्वारा लिए जाते हैं। एआईसीसी के प्रतिनिधियों के वोटिंग से कांग्रेस वर्किंग कमेटी चुनी जाती है। जब भी कोई अध्यक्ष बनता है तो वह अपनी सीडब्ल्यूसी का गठन करता है। एआईसीसी (AICC) डेलिगेट्स के द्वारा CWC के 12 सदस्य चुनकर आते हैं जबकि 11 सदस्य को अध्यक्ष मनोनीत करते हैं। हालांकि, आमतौर पर सीडब्ल्यूसी के सदस्यों को अध्यक्ष ही चुनता है। इस मेटी में अध्यक्ष के अलावा, संसद में पार्टी का नेता और अन्य सदस्य होते हैं। कांग्रेस में सीडब्ल्यूसी ही सबसे अहम होती है, जो तमाम अहम फैसले करती है।

सिर्फ दो बार हुए अध्यक्ष पद के लिए चुनाव

कांग्रेस में अध्यक्ष पद अधिकतर गांधी परिवार के पास ही रहा है। आजादी के 75 सालों में 40 साल नेहरू-गांधी परिवार से कोई न कोई अध्यक्ष रहा तो 35 साल पार्टी की कमान गांधी-परिवार से बाहर रही। पिछले तीन दशक में सिर्फ दो ही मौके ऐसे आए हैं जब चुनाव कराने की जरूरत पड़ी हो। 1997 में सीताराम केसरी के खिलाफ शरद पवार और राजेश पायलट ने पर्चा भरा था, जहां केसरी को जीत मिली। इस चुनाव में सीताराम केसरी को 6224 वोट मिले तो वहीं पवार को 882 और पायलट को 354 वोट मिले थे। इसके बाद 2000 में दूसरी बार वोटिंग की नौबत आई। तब जब सोनिया गांधी को कांग्रेस के भीतर से दिग्गज नेता जितेंद्र प्रसाद से चुनौती मिली। जब सोनिया गांधी को 7448 वोट मिले, वहीं प्रसाद को कुल 94 वोट मिले।

whatsapp share facebook share twitter share telegram share linkedin share
Related News
Latest News