दुनियाभर में कई तरह के धर्म हैं. हर धर्म की अपनी कुछ मान्यताएं हैं और उस धर्म को मानने वाले इन मान्यताओं को जरूर मानते हैं. सनातन धर्म को दुनिया का सबसे पुराना धर्म कहा जाता है. इस धर्म में भी कई तरह की मान्यताएं हैं जिनमें से कुछ मान्यताएं अंतिम संस्कार को लेकर हैं. सनातन धर्म के अनुसार जब घर में किसी शख्स की मृत्यु हो जाती है तो उसका दाह संस्कार किया जाता है जिस जगह पर संस्कार किया जाता है उसे श्मशान घाट कहते हैं. श्मशान घाट पर पुरुष जा सकते हैं लेकिन औरतों को श्मशान घाट में जाने की मनाही होती है. यहां हम समझने की कोशिश करेंगे कि आखिर क्यों महिलाओं को श्मशान घाट पर जाने से मना किया जाता है.
इसलिए श्मशान घाट में नहीं जाती हैं औरतें
सनातन धर्म में दाह संस्कार को लेकर होने वाली परंपराएं सदियों पुरानी हैं तो हम उसी समय की बात करेंगे. पुराने समय में ऐसा माना जाता था कि दाह संस्कार की प्रक्रिया बेहद डरावनी होती है. उस दौरान शव को आग में जलाया जाता है और अस्थियों को लकड़ी से दबाया जाता है. यह दृश्य बेहद भयानक होता है. महिलाएं कोमल स्वभाव की होती हैं जो इसे देखकर डर जाती है इसलिए श्मशान घाट पर महिलाओं को जाने की मनाही होती है.
बुरी आत्माओं का होता है वास
शास्त्रों के जानकार बताते हैं कि श्मशान घाट पर बुरी आत्माओं का वास होता है और ये बुरी आत्माएं या नकारात्मक ऊर्जा लंबे-काले बालों की ओर आकर्षित होती है. ऐसा माना जाता है कि श्मशान घाट पर जलाए गए सभी लोग को मुक्ति नहीं मिल पाती है. उनमें से कुछ लोगों की आत्माएं वहीं भटकती रहती हैं और वह महिलाओं को अपना निशाना बनाती हैं इसलिए जब पुरुष दाह संस्कार की क्रिया को खत्म करते हैं तो अपने बाल वहीं अर्पित करके चले आते हैं लेकिन महिलाएं बालों को अर्पित नहीं कर सकती हैं. इस वजह से उन्हें श्मशान घाट पर नहीं जाना चाहिए.