सनातन धर्म में पूजा-पाठ का बहुत महत्व माना गया है. हमारे हर सुख-दुख में ईश्वर की आराधना एक अभिन्न हिस्सा है. कई लोग बैठकर पूजा करना पसंद करते हैं तो कई लोग खड़े होकर. इनमें से कौन सा तरीका विधि सम्मत है, इस बारे में लोग अक्सर असमंजस में रहते हैं. आज हम इस बारे में आपका पूरा ज्ञानवर्धन करेंगे. साथ ही आपको बताएंगे कि पूजा करने के लिए कौन सा तरीका उपयुक्त माना गया है.
मंदिर से नीचा होना चाहिए आपका आसन
शास्त्रों के मुताबिक (Rules of Worship) हम जिस जगह बैठकर पूजा कर रहे हैं, वह स्थान मंदिर के स्थान से ऊंचा नहीं होना चाहिए. ऐसा करना मर्यादा के खिलाफ माना जाता है और ऐसे स्थान पर बैठने से पूजा का उचित फल नहीं मिलता है. अगर आप ऊंचे स्थान पर बैठे हैं और उसे नीचे नहीं कर पा रहे हैं तो मंदिर के स्थान को ऊंचा उटा दें.
आराधना के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
धार्मिक विद्वानों के अनुसार हमें खड़े होकर पूजा (Pooja ke Niyam) नहीं करनी चाहिए. ऐसा करना उचित नहीं माना जाता है. इसके बजाय मंदिर के सामने आसन बिछाकर बैठकर पूजा करनी चाहिए. यह भी सुनिश्चित करें कि पूजा करते वक्त महिला-पुरुष, सभी को अपना सिर अवश्य ढंकना चाहिए. ऐसा न करने से पूजा के पुण्य लाभ से वंचित रह जाते हैं.
जान लें पूजा करने की सही विधि
पूजा (Pooja ke Niyam) करते वक्त वक्त हमारा मुख किस दिशा में होना चाहिए, इस बारे में भी पौराणिक शास्त्रों में सटीक वर्णन किया गया है. पुराणों के मुताबिक पूजा के दौरान हमारा मुख हमेशा पूर्व दिशा की ओर होना श्रेयस्कर होता है. साथ ही बायीं ओर पूजा सामग्री और दाहिनी ओर धूप, घंटी आदि चीजें रखनी चाहिएं. पूजा में बैठने वाले प्रत्येक व्यक्ति के माथे पर तिलक जरूर लगाया जाना चाहिए. अगर मंदिर का मुख दूसरी दिशा में आपको पूर्व दिशा के बजाय मंदिर की ओर मुख करके बैठना चाहिए.