भारतीय संस्कृति के सबसे अहम देव, महादेव शिव के बारें में कई गाथाएं सुनने को मिलती है. वर्तमान समय में अधिकांश व्यक्ति के नाम और उपनाम होते है. उसी तरह शिव महापुराण में भगवान शिव के भी कई नाम और 19 अवतारों के बारे में बताया गया है. भोले बाबा को सिर्फ शिव या शकंर ही नहीं बल्कि महाकाल, आदिदेव, जटाधारी, महेश, उमापति, शशिभूषण, नीलकंठ आदि सहस्त्रों नामों से जाना जाता है. शंकर जी का एक नाम अष्टमूर्ति भी है. महाकवि कालिदास ने अभिज्ञान शाकुन्तलम में अष्टमूर्ति रूप में ही भगवान शिव की प्रार्थना की है. महादेव को कुछ नाम उनके समय व परिस्थिति पर लिए गए अवतार के अनुसार तथा कुछ उनके वेशभूषा के अनुसार भी दिए गए है. इसी महीने की 18 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व होगा. आइए उनके कुछ अवतारों के बारे में जानें.
अश्वत्थामा अवतार
गुरु द्रोणाचार्य ने भगवान शिव को पुत्र रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया था कि वे उनके पुत्र के रूप में अवतीर्ण होंगे, जो बाद में अश्वत्थामा के रूप में जाने गए.
नंदी अवतार
शिलाद मुनि नाम के एक ब्रह्मचारी थे, उनका वंश समाप्ति की ओर देखकर उनके पितरों ने शिलाद से संतान उत्पन्न करने को कहा. पितरों की आज्ञा मानकर मुनि शिलाद ने भगवान की तपस्या की. तब भगवान शंकर ने स्वयं शिलाद के यहां नंदी रुप में जन्म लेने का वरदान दिया.
वीरभद्र अवतार
प्रजापति दक्ष के यज्ञ में माता सती ने अपने प्राण त्याग दिए. इस बात का पता चलते ही शिवजी ने क्रोध में अपने सिर से एक जटा उखाड़ी और उसे पर्वत के ऊपर पटक दिया और उस जटा के पूर्व भाग से महाभयंकर वीरभद्र प्रगट हुए. शिव के इस अवतार ने दक्ष का विध्वंस कर दिया था.
किरातेश्वर अवतार
यह स्वरूप भगवाव शिव ने पाण्डु पुत्र अर्जुन के समक्ष प्रकट किया था. इस रूप में वे त्रिनेत्रधारी, एक हाथ में धनुष और दूसरे हाथ में बाण धारण कर आए थे.