शनिदेव को न्याय का देवता और कर्म फलदाता कहा गया है. वे इंसान को उसके अच्छे और बुरे कर्मों के हिसाब से फल प्रदान करते हैं. उनकी कोप दृष्टि का सामना कोई नहीं करना चाहता, इससे लोगों को काफी कष्ट उठाना पड़ता है. शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या की बात करें तो यह समय काफी कष्टकारी माना जाता है. शनि की साढ़ेसाती साढ़े सात साल चलती है. इसके ढाई-ढाई साल के तीन चरण होते हैं. इस दौरान इंसान को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि इस दौरान इंसान को केवल कष्ट ही उठाना पड़े. कुछ ज्योतिष उपाय करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और शुभ परिणाम प्रदान करते हैं.
पीपल का पेड़
पीपल के पेड़ में जल चढ़ाने से भी शनिदोष से छुटकारा मिलता है. वहीं, शनिवार के दिन उसके नीचे दीया जलाने से शनिदेव प्रसन्न होकर साढ़ेसाती और ढैय्या का असर कम कर देते हैं और अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं.
शनि चालीसा
शनिवार को किसी भी शनि मंदिर में जाकर उनकी स्तुति और शनि चालीसा व मंत्रों का जाप करें. इस दिन शनि देव के नाम से मीठी वस्तुओं का दान करें. ऐसा करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है और उनका प्रकोप धीरे-धीरे कम होने लगता है.
लोहे का छल्ला
शनि के प्रकोप को कम करने के लिए रत्न धारण किए जा सकते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम करने के लिए लोहे का छल्ला धारण करना काफी शुभ रहता है और इस दौरान शुभ परिणामों की प्राप्ति होने लगती है.
पूड़ी और चने का वितरण
शनिवार के दिन जरुरतमंदों को पूड़ी और चने का वितरण करने से भी साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम होता है. हर शनिवार को ऐसा करने से शनिदेव करियर और बिजनेस में उन्नति प्रदान करते हैं और साढ़ेसाती में भी शुभ फल प्रदान करने लगते हैं.