अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है. आज से देशभर में नवरात्रि का पर्व शुरू हो रहा है. कहते हैं कि अमावस्या पर पितर विदा होते हैं और मां दुर्गा धरती पर भक्तों के बीच आती हैं. इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. पहले दिन विधिपूर्वक कलश स्थापना की जाती है और इसके बाद मां शैलपुत्री की पूजा होती है. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. इस दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करने और पूजा के बाद मां शैलपुत्री की ये आरती करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है. आइए जानें मां शैलपुत्री की आरती और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त.
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है उसके बाद ही मां की पूजा का विधान है. ऐसे में कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में करना ही शुभ माना जाता है. 26 सितंबर को कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:11 बजे से 07:51 बजे तक है. इसके बाद अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:48 बजे से दोपहर 12:36 तक है. फिर
विजय मुहूर्त दोपहर 02:13PM बजे से 03:01PM तक है और गोधूलि मुहूर्त शाम 06:01PM बजे से लेकर 06:25PM तक है.
शैलपुत्री मां बैल सवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने न जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस जा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रृद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।