नाग पंचमी श्रावण मास की शुक्ल पंचमी को मनाई जाती है। आज के दिन नागों की पूजा करने के साथ दूध से अभिषेक करने की परंपरा है। शास्त्रों के अनुसार, नाग देव को भगवान शिव शंकर ने अपने गले में धारण किया है, इसलिए इस दिन नाग देवता के साथ-साथ शिव जी की पूजा करनी चाहिए। नाग पंचमी के अवसर पर पूजा करने से राहु-केतु के बुरे प्रभाव के साथ-साथ कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। जानिए राशि के अनुसार किन मंत्रों का जाप करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होगी। इसके साथ ही कालसर्प दोष से मुक्ति मिलेगी।
ॐ भुजंगेशाय विद्महे,
सर्पराजाय धीमहि,
तन्नो नाग: प्रचोदयात्।।
कालसर्प दोष से निजात पाने के लिए जातक नाग पंचमी पर चांदी या फिर पंचधातु से बना नाग-नागिन का जोड़ा लाएं और उसकी विधिवत पूजा करें। इसके साथ ही इन मंत्रों का जाप करें।
मेष राशि- ॐ वासुकेय नमः
वृषभ राशि- ॐ शुलिने नमः
मिथुन राशि- ॐ सर्पाय नमः
कर्क राशि- ॐ अनन्ताय नमः
सिंह राशि- ॐ कर्कोटकाय नमः
कन्या राशि- ॐ कम्बलाय नमः
तुला राशि- ॐ शंखपालय नमः
वृश्चिक राशि- ॐ तक्षकाय नमः
धनु राशि- ॐ पृथ्वीधराय नमः
मकर राशि- ॐ नागाय नमः
कुंभ राशि- कुंभ राशि के जातक ॐ कुलीशाय नमः मंत्र का जाप करें
मीन राशि- अश्वतराय नमः
नागपंचमी के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा करने के साथ अभिषेक करें। अभिषेक के समय 'नागेन्द्र हाराय ॐ नम: शिवाय' मंत्र का सवा लाख बार जाप करें। इसके साथ ही नाग देवता की पूजा करते समय 'ॐ नागदेवतायै नम:' या 'ॐ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नौ सर्प प्रचोद्यात्' मंत्र का जाप करीब 108 बार जरूर करें। इससे व्यक्ति को लाभ मिलेगा।