हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा करने के साथ सांपों की पूजा विधिवत करती है। नाग पंचमी का दिन काफी खास है। क्योंकि इस दिन मंगला गौरी व्रत भी पड़ रहा है। इसलिए नाग पंचमी के दिन भगवान शिव, नाग देवता के साथ-साथ माता पार्वती की पूजा करने का विशेष लाभ मिलेगा। मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की विधिवत पूजा करने से कालसर्प दोष से छुटकारा मिल जाता है। जानिए नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
सावन के शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि प्रारंभ - 2 अगस्त को सुबह 5 बजकर 13 मिनट से शुरू
सावन के शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि समाप्त - 3 अगस्त को सुबह 05 बजकर 41 मिनट तक
नाग पंचमी पूजा मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 43 मिनट से 08 बजकर 25 मिनट तक
पूजा की अवधि - 02 घंटे 42 मिनट
शिव योग- 2 अगस्त को शाम 06 बजकर 38 मिनट तक
हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार इन बारह नागों की पूजा का विशेष रूप से महत्व माना जाता है। इन नागों के नाम इस प्रकार हैं अनंत, वासुकी, शेष, पद्म, कम्बल, कर्कोटक, अश्वतर, धृतराष्ट्र, शङ्खपाल, कालिया, तक्षक और पिङ्गल नाग हैं।
नाग पंचमी के ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें।
नाग पंचमी के दिन तांबे के लोटे से नाग देवता की मूर्ति को दूध और जल चढ़ाना चाहिए।
अगर आप चाहे तो चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा मंदिर में रखकर उसका पूजन कर सकते हैं।
गाय के दूध से स्नान कराएं।
इसके बाद मूर्ति में गंध, धूप, पुष्प अर्पित करें।
हल्दी. चावल, रोली और फूल अर्पित करें।
मिठाई का भोग लगाएं।
दीपक और धूप जलाकर नाग देवता की आरती कर लें।
अंत में नाग पंचमी की कथा का पाठ कर लें।
सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले.
ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः॥
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः.
ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नम