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जानिए हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Mega Daily News August 30, 2022 08:45 AM IST

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करने का विधान है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं और कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए इस व्रत को रखती है। इस दिन महिलाएं मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति बनाकर पूजा करती है। बता दें कि यह व्रत भी हरियाली तीज और कजरी तीज की तरह ही निर्जला रखा जाता है।

हरतालिका तीज शुभ मुहूर्त

हरतालिका तीज 2022 शुभ मुहूर्त

शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि प्रारंभ- 29 अगस्त, सोमवार को दोपहर 03 बजकर 20 मिनट से शुरू

शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त- 30 अगस्त, मंगलवार को दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तक

हरतालिका तीज पूजा का शुभ मुहूर्त

सुबह के समय हरतालिका पूजन मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 12 मिनट से 08 बजकर 42 मिनट तक

प्रदोष काल हरतालिका पूजन मुहूर्त- सुबह 6 बजकर 42 मिनट से दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तक

शाम को पूजा का मुहूर्त: शाम 6 बजकर 33 मिनट से रात 8 बजकर 51 मिनट

तीज पारण का समय- 31 अगस्त

हरतालिका तीज पूजन विधि

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण कर लें।

इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का मनन करते हुए व्रत का संकल्प लें।

हरतालिका तीज के दिन काली मिट्टी या रेत से शंकर-पार्वती मूर्ति बनाएं।

एक लकड़ी की चौकी में चारों कोने में केले के पत्ते कलावा की मदद से बांध दें।

इसके बाद भगवान शिव के साथ परिवार की मूर्ति स्थापित कर दें।

भगवान शिव और मां पार्वती की विधिवत पूजा करें।

इसके साथ ही मां को सोलह श्रृंगार चढ़ाएं और महादेव को भी वस्त्र अर्पित करें।

अब भोग लगाएं।

भोग लगाने के बाद घी का दीपक जलाएं

अब हरतालिका तीज की व्रत कथा पढ़ें।

अंत में आरती कर के भूल चूक के लिए माफी मांगे। दिनभर व्रत रखने के साथ रात के समय जागरण करें।

अगले दिन स्नान आदि करने के बाद शिव-पार्वती जी की पूजा करके आरती कर लें।

इसके बाद व्रत खोलें।

हरतालिका तीज पर करें इन मंत्रों का जाप

पति की लंबी के लिए

नमस्त्यै शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभा।

प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।

मनचाहे वर के लिए

हे गौरी शंकर अर्धांगिनी यथा त्वं शंकर प्रिया।

तथा माम कुरु कल्याणी कांतकांता सुदुर्लाभाम्।।

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