व्यक्ति की जन्म कुंडली के आधार पर ग्रहों की दशा को समझा जाता है. अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में शनि की महादशा है या फिर शनि कमजोर स्थिति में है, तो उसे व्यक्ति को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामान करना पड़ता है. वहीं, अगर शनि की अनुकूल स्थिति जीवन में सुख, आनंद और धन लेकर आती है. जीवन में शनि की प्रतिकूल स्थिति व्यक्ति के जीवन में समस्याएं पैदा करती है. अक्सर व्यक्ति लाइफ में कई ऐसी गलती कर बैठता है, जो उसे खुद नहीं पता होती.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति की ये छोटी-छोटी गलतियों के चलते जीवन समस्याओं से घिर जाता है. इसका कारण शनि का नाराज होना होता है और उनके क्रोध का सामना करना पड़ता है. शास्त्रों में कहा गया है कि दूसरों की चीजें इस्तेमाल करने से शनि देव नाराज हो जाते हैं. ऐसे में व्यक्ति को शनि की बुरी नजर का सामना करना पड़ता है. और उसे कई समस्याएं घेर लेती हैं. आइए जानते हैं शनि देव किन चीजों से नाराज होते हैं.
शनि देव को नाराज कर देती हैं व्यक्ति की ये चीजें
- शनि देव को कर्मफल दाता और न्याय के देवता के रूप में माना जाता है. व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों का फल शनि देव उसी के हिसाब से देते हैं. अच्छे कर्म वालों को जीवन की सभी सुख-सुविधाएं मिलती हैं. वहीं, बुरे कर्म करने वालों का जीवन समस्याओं से घिरा रहता है. शनि देव दूसरों की वस्तुओं के उपयोग करने से शनि नाराज हो जाते हैं. कई बार लोग आपस में एक-दूसरे से कपड़े, जूते या फिर कुछ और सामान मांग लेते हैं. लेकिन आपकी ये एक छोटी सी गलती आपके जीवन में परेशानियां खड़ी कर सकती है. मान्यता है कि दूसरों के कपड़े पहनने से व्यक्ति को दरिद्रता घेर लेती है.
वास्तु जानकारों का कहना है कि दूसरों की अंगूठी पहनना भी अशुभ माना जाता है. इससे शनि देव तो नाराज होते ही हैं. साथ ही, दुर्भाग्य की शुरुआत होती है. ऐसे में कहा जाता है कि दूसरों की अंगूठी या रत्न किसी भी धातु का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से शनि देव नाराज हो जाते हैं और ग्रहों पर प्रतिकूल असर पड़ता है.
किसी दूसरे व्यक्ति की जूते-चप्पलों को भी पहनना अशुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति के चरणों में शनि देव का वास होता है. ऐसे में दूसरों के चप्पल-जूते पहनने से शनि देव नाराज हो जाते हैं. वहीं, कई बार लोग एक-दूसरे से पेन-पेंसिल लेकर भी इस्तेमाल कर लेते हैं, जिसे शास्त्रों में सही नही माना गया. इससे नकारात्मकता बढ़ती है और व्यक्ति को अशुभ फलों की प्राप्ति होती है.