दुनिया में जब ताकतवर और अमीर मुल्क की बात आती है तो पहला नाम अमेरिका का आता है लेकिन एक ऐसा भी मुल्क है जो अमेरिका से किसी भी मामले में कम नहीं है. जब आर्थिक सुपर पावर होने की बात आती है तो कहीं न कहीं इसके आगे अमेरिका पिछड़ा हुआ नजर आता है. यहां हम सऊदी अरब की बात कर रहे हैं, जहां कभी लोग ऊंट और भेड़-बकरियां चराया करते थे लेकिन मौजूदा समय में यह देश दुनिया के विकसित देशों में शामिल है. सऊदी अरब के ज्यादातर लोग इसकी तरक्की का श्रेय खुदा के रहम को देते हैं. लेकिन आज हम आपको बताएंगे कैसे सऊदी अरब गरीबी की गर्त से निकलकर अमीरी का सुपर पावर बना.

इस शख्स ने रखी असल सऊदी अरब की नींव

ज्यादातर मुल्क अपने नागरिकों की तकदीर लिखते हैं लेकिन सऊदी अरब की आधुनिक तकदीर लिखने वाला एक नौजवान था. एक समय था, जब यह देश कई कबीलाई हिस्सों में बंटा हुआ था और यहां के ज्यादातर लोग ऊंट और भेड़-बकरियां चराते थे. ये कबीले अक्सर एक-दूसरे से लड़ाई करता हुए नजर आते थे, जिस नौजवान का यहां जिक्र किया गया वो कोई और नहीं शेख अब्दुलाजीज अल-सौद (King Abdulaziz Al-Saud) ही थे जिन्होंने अपने 40 साथियों के मदद से इस मुल्क की नींव डाली. शेख अब्दुलाजीज अपने साथियों के साथ एक-एक कबीले को जीतते गए और खुद के साथ मिलाते हुए एकजुट करते गए. सभी कबीले को एकजुट करते हुए शेख ने 1932 के सऊदी अरब की नींव रखी थी.

सालाना 19 लाख कमाते हैं लोग!

साल 2021 में आई वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट बताती है कि सऊदी अरब में ‘जीडीपी पर कैपिटा’ औसतन 19 लाख रुपए है यानी यहां का हर एक व्यक्ति सालाना 19 लाख रुपए कमाता है, वहीं भारत की बात की जाए तो भारत सऊदी अरब से काफी पीछे है. भारत में औसतन एक शख्स सालाना 1.86 लाख रुपये कमाता है. सऊदी अरब की राष्ट्रीय भाषा अरबी है और यहां पर संविधान के लिए कुरान को रखा गया है. शेख ने अपने 20 साल के शासन काल में यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोरदार काम किया और देखते-देखते यह कबीलाई इलाका दुनिया के नक्शे पर पावरफुल देश बनने की ओर चल पड़ा था.

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