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इस ड्रोन का नाम आते ही चीन और पाकिस्‍तान क्‍यों बेचैन हो गए

Published On August 23, 2022 12:31 AM IST
Published By : Mega Daily News

भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के साथ अपनी निगरानी तंत्र को और अधिक मजबूत करने के लिए तीन बिलियन अमेरिकी डालर से भी अधिक की लागत के 30 MQ-9B प्रीडेटर आर्मड ड्रोन खरीदने के लिए अमेरिका के साथ बातचीत अंतिम चरण में है। नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच अमेरिकी रक्षा प्रमुख जनरल एटॉमिक्स द्वारा बनाए गए ड्रोनों की खरीददारी के लिए दोनों सरकारों के बीच बातचीत जारी है। खास बात यह है कि अमेरिका ने इसी ड्रोन आतंकवादी सरगना अल-जवाहिरी को मौत के घाट उतारा था। आइए जानते हैं कि ड्रोन की क्‍या खासियत है। चीन और पाकिस्‍तान इस ड्रोंस का नाम आते ही क्‍यों बेचैन हो गए हैं। इस ड्रोन के मिलने के बाद भारत का निगरानी कवच उम्‍दा हो जाएगा।

1- भारत को वर्ष 2020 में मुख्य रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी के लिए अमेरिका से दो MQ-9बी सी गार्जियन ड्रोन पट्टे पर मिले थे। गैर-हथियार वाले दो MQ-9बी ड्रोन एक वर्ष के लिए पट्टे पर दिए गए थे। इन ड्रोनों की अवधि को एक और वर्ष बढ़ाने का विकल्प था। भारत-चीन सीमा तनाव के बीच भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी सेना के युद्धपोतों सहित चीन की बढ़ती गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अपने निगरानी तंत्र को मजबूत कर रही है।

2- प्रीडेटर ड्रोन को लंबे समय तक हवा में रहने और ऊंचाई वाले क्षेत्रों की निगरानी के लिए खास तौर पर तैयार किया गया है। भारतीय सशस्त्र बल पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध के बाद ऐसे हथियारों की खरीद पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। MQ 9बी को न केवल नाटो के मानकों को पूरा करते हुए, बल्कि अमेरिका और दुनिया भर में असैन्य हवाई क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बनाया गया है। भारतीय नौसेना ने इन ड्रोन की खरीद के लिए प्रस्ताव किया है और तीनों सेनाओं को 10-10 ड्रोन मिलने की उम्‍मीद बढ़ गई है।

3- इसे अमेरिकी रक्षा कंपनी जनरल एटामिक्स द्वारा तैयार किया गया है। यह ड्रोन करीब 35 घंटे तक हवा में रह सकते हैं। इसका इस्‍तेमाल सीमा की निगरानी, खुफिया जानकारी जुटाने और दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने सहित कई उद्देश्यों के लिए किया जाता है। यह ड्रोन अपने साथ करीब 450 किग्रा बम ले जा सकता है। एमक्यू-9बी के दो प्रकार हैं, स्काई गार्डियन और सी गार्डियन। ऐसा समझा जाता है कि अप्रैल में वाशिंगटन में भारत एवं अमेरिका के बीच हुई विदेश एवं रक्षा मंत्री स्तर की ‘टू प्लस टू’ वार्ता के दौरान भी खरीदारी के प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी।

4- अमेरिका ने वर्ष 2019 में ड्रोन की बिक्री को मंजूरी दी थी। एकीकृत वायु एवं मिसाइल रक्षा प्रणालियों की भी पेशकश की थी। भारत ने पिछले साल फरवरी में नौसेना के लिए अमेरिकी कंपनी लाकहीड मार्टिन से 24 MH-60 रोमियो हेलीकाप्टर की खरीद के लिए अमेरिका के साथ 2.6 अरब डालर का सौदा किया था। उन हेलीकाप्टर की आपूर्ति शुरू हो गई है। 

सैनिकों को अफगानिस्तान भेजे बिना जवाहिरी को मार गिराया

गौरतलब है कि ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी और अल कायदा के चीफ अल जवाहिरी को मार गिराने वाला अमेरिका का MQ-9B प्रिडेटर ड्रोन जल्दी ही भारत आएगा। ड्रोन कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि अमेरिका ने अपने सैनिकों को अफगानिस्तान भेजे बिना अलकायदा के जवाहिरी को मार गिराया। जवाहिरी वही शख्स था जिसने ओसामा बिन लादेन को अमेरिका पर 9/11 के हमलों की साजिश रचने में मदद की थी। ड्रोन को अमेरिका से खरीदने की प्रक्रिया आखिरी चरण में है। भारत ‘हंटर-किलर’ प्रीडेटर से लैस MQ-9B ड्रोन को खरीदने का मन बना चुका है।

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