इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट में होने वाली जिरह की रिकॉर्डिंग लिखित रूप में की जाएगी. यह व्यवस्था जल्द ही शुरू हो रही है. इसे एक स्थाई रिकॉर्ड के रूप में रखा जाएगा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर भी इन रिकॉर्डिंग को डालने की योजना बनाई जा रही है. ताकि वकील और जज के साथ-साथ कानून के छात्र भी अपनी शिक्षा में इसका फायदा उठा सकें. इसको लागू करने के लिए तेजी से काम शुरू हो गए हैं.

चीफ जस्टिस की कोर्ट से हो रही है शुरुआत

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग की तकनीक का प्रयोग करके इसे संभव बनाने का काम किया जा रहा है. इसकी शुरुआत सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की कोर्ट से की जाएगी. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ महाराष्ट्र शिवसेना विवाद से जुड़े संवैधानिक पहलुओं की सुनवाई कर रही है. नई व्यवस्था के तहत इसके लिए कोर्ट में जिरह कर रहे वकीलों के सामने एक स्क्रीन लगाई गई है. इस स्क्रीन पर वकीलों की ओर से पेश जिले की ट्रांसक्रिप्ट नजर आएगी. यह एक नया बदलाव लोगों को देखने को मिलेगा. हर किसी काे इससे काफी मदद मिलेगी.

जिरह का स्थायी रिकॉर्ड होगा

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शिवसेना विवाद पर सुनवाई के समय कहा कि हम देखेंगे कि यह नई व्यवस्था कैसे काम करती है. इससे क्या क्या फायदे हाेंगे. इसके जरिए संविधान पीठ के सामने लगे मामलों में हमारे पास जिरह का स्थाई रिकॉर्ड भी होगा. यह जजों और वकीलों के लिए तो मदद करेगा ही साथ में भविष्य में कानून के छात्रों के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी साबित होगा. उनको मालूम पड़ेगा कि वह कोर्ट में किस तरह से बहस करें. सुप्रीम कोर्ट का इरादा है कि इस रिकॉर्डिंग को वह अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेंगे. इसके लिए जिरह करने वाले वकीलों को लिंक भी भेजा जाएगा. वह शाम तक इसे चेक करेंगे और फिर बताएंगे कि क्या मौखिक दलीलें सही तरह से लिखित रूप में रिकॉर्ड हुई है या नहीं. उनके द्वारा देख लेने के बाद ही वेबसाइट पर इसे डाला जाएगा.

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