सद्दाम हुसैन, एक ऐसा नाम जिसे सुनकर आमतौर पर आपके दिमाग में तानाशाह की ही छवि बनती है. ऐसा तानाशाह जो काफी क्रूर था. उसकी क्रूरता से जुड़ी कई कहानियां आपने पढ़ी भी होंगी. पर ऐसा नहीं है कि वह सिर्फ क्रूर था, कुछ लोग उसे मसीहा भी मानते थे. बताते हैं कि उसकी धर्म में बड़ी आस्था थी. उसे आलीशान मस्जिदें बनवाने का बहुत शौक था. सद्दाम हुसैन की ओर से बनवाई गई इराक की एक मस्जिद बेहद खास है. दरअसल, इस मस्जिद में जो कुरान है, उसे सद्दाम हुसैन के खून से लिखा गया है.

हर हफ्ते निकाला जाता था खून

रिपोर्ट के मुताबिक, सद्दाम हुसैन ने अपने कार्यकाल में एक ऐसी कुरान लिखने का आदेश दिया था, जो स्याही की जगह खून से लिखी जाए. इसके लिए सद्दाम हुसैन ने तीन साल में अपना 26 लीटर खून निकलवाया. हर हफ्ते एक नर्स सद्दाम के शरीर से खून लेती थी. वहीं दूसरी टीम इस खून से कुरान लिखने में जुट गई. कई दिनों की मेहनत के बाद सद्दाम हुसैन के खून से 605 पन्नों की यह कुरान लिखी जा सकी. यह कुरान आज भी वहां शीशे के फ्रेम में लोगों को दिखाने के लिए रखी गई है.

इस कुरान को लेकर अलग-अलग कहानी

खून से लिखे कुरान को लेकर अलग-अलग कहानियां प्रचलित हैं. अमेरिका की जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर कंटेम्पररी अरब स्टडीज के निदेशक जोसेफ ससून कहते हैं कि एक बड़े कार्यक्रम में इस कुरान को सद्दाम के सामने पेश किया गया था. तब सद्दाम ने कहा था कि उसने इसे अपने खून से लिखवाकर एक नजराना पेश किया है. वहीं कुछ लोगों का मानना था कि 1996 की जंग में उसका बेटा जिंदा बच गया था. ऐसे में उसने खुदा का शुक्र अदा करने के लिए इसे खून से लिखवाया था.

आखिरी दिनों में मौत से डरने लगा था

जिस तानाशाह को निडर माना जाता था, जिसने हजारों को मौत के घाट उतरवा दिया हो, उस सद्दाम हुसैन की अपने आखिरी दिनों में बहुत बुरी स्थिति थी. उसे हमेशा यह डर सताता रहता था कि कहीं कोई उसकी हत्या न कर दे. उनके सामने जो खाना आता था, उसमें जहर है या नहीं इसकी चेकिंग उसके कुक का बेटा करता था.

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