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सरकार बदलने के बाद भी नहीं बदला नेपाल का रवैया, भारत के प्रति बार-बार उगल रहे जहर

Published On January 08, 2023 11:46 PM IST
Published By : Mega Daily News

नेपाल की सत्तारूढ़ पार्टी यूएमएल के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने शनिवार को एक बार फिर भारत के खिलाफ अपना गुस्सा निकालते हुए कहा कि पड़ोसी देश हिमालयी देश में सरकार के गठन में अनावश्यक रुचि ले रहे हैं. काठमांडू में आयोजित एक कार्यक्रम में ओली ने कहा कि बाहरी ताकतों ने नेपाल में सरकार बनाने में अनावश्यक रुचि पैदा कर ली है. यूएमएल और ओली के समर्थन से, सीपीएन (माओवादी सेंटर) के अध्यक्ष, पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड नेपाल के प्रधानमंत्री बन गए हैं. पहले संसद में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के साथ प्रचंड थे लेकिन प्रचंड को प्रधानमंत्री का पद सौंपने से इनकार करने के बाद वह ओली के समर्थन से सत्ता में काबिज हुए.

20 नवंबर के चुनाव से पहले, नेपाली कांग्रेस और माओवादी सेंटर का गठबंधन था, जहां उन्होंने लोकतांत्रिक-वाम गठबंधन के तहत एक साथ चुनाव लड़ा था. लेकिन चुनाव के बाद नेपाली कांग्रेस ने अंतिम समय में प्रचंड को प्रधानमंत्री पद देने से इनकार कर दिया. यूएमएल के ओली को मौका मिल गया और प्रचंड को समर्थन दे दिया.

शनिवार को ओली ने कहा कि कुछ पड़ोसी अभी भी दीवार लांघने और देश के आंतरिक मामलों में दखल देने की कोशिश कर रहे हैं. ओली ने भारत का नाम लिए बिना कहा, यह नेपालियों द्वारा बनाई गई सरकार है. नेपालियों को सरकार नहीं बनाने देने के प्रयास किए गए थे. मैंने अपने पड़ोसियों से आग्रह किया कि वह हमारी सरकार के गठन की प्रक्रिया में हस्तक्षेप न करें. कुछ ताकतें नेपाल की राजनीति को अस्थिर करने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन हमने इसे स्थिरता दी.

पूर्व प्रधानमंत्री को राष्ट्रवादी नेता के रूप में जाना जाता है जिन्होंने 2017 में राष्ट्रवादी तख्ती के तहत चुनाव जीता था. उन्होंने 20 नवंबर के चुनाव के दौरान फिर से भारत विरोधी भावना और सीमाओं के मुद्दे को उठाया था. यूएमएल, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी और अन्य के समर्थन से, प्रचंड ने पिछले साल 26 दिसंबर को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी.

ओली ने कहा, हमारे कुछ दोस्त दरवाजे से नहीं बल्कि दीवार फांदकर हमारे घर में घुस रहे हैं और सरकार बदलने की कोशिश कर रहे हैं, जो संभव नहीं है. इस तरह की गतिविधि को स्वीकार नहीं किया जाएगा. मैं अपने पड़ोसियों से आग्रह करता हूं कि वह नेपाल के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करें.

यह पहली बार नहीं है जब ओली ने भारत के खिलाफ अपना गुस्सा उतारा है. नेपाल ने मई 2020 में एक नया नक्शा जारी किया था, तब ओली प्रधानमंत्री थे, जिसमें विवादित क्षेत्र को शामिल किया गया था जो भारत का हिस्सा है, जिससे दोनों पड़ोसी देशों के बीच क्षेत्रीय विवाद पैदा हो गया था.

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