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चीन का परमाणु विस्तार अमेरिका को दुनिया की शीर्ष महाशक्ति के रूप में चुनौती देना, भारत के लिए भी खतरा
चीन को लेकर पेंटागन की एक चौंका देने वाली रिपोर्ट पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में बनी हुई है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन के पास मौजूदा समय में 400 परमाणु हथियार संग्रहित हैं. चीन अगले दशक के मध्य तक अपने परमाणु ताकत बढ़ाने के क्रम में शस्त्रागार को 1,500 हथियारों तक विस्तारित करने की राह पर है. सीएनएन ने बताया कि चीन 2035 तक अपने परमाणु हथियारों की संख्या को तीन गुना से अधिक करने की योजना पर अग्रसर है. इसके पीछे एक मात्र वजह यह है कि वह (चीन) अमेरिका को दुनिया की शीर्ष महाशक्ति के रूप में चुनौती देना चाहता है. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन के इस कदम से भारत पर भी प्रभाव जरूर पड़ेगा. भारत के लिए यह विचार करने का विषय है.
चीन बढ़ा रहा परमाणु ताकत
पेंटागन ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में चीनी सेना पर ब्योरा देते हुए कहा कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की योजना मूल रूप से 2035 तक अपने राष्ट्रीय रक्षा और सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण को पूरा करने की है. पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन अंतरिक्ष और काउंटरस्पेस हथियार भी विकसित कर रहा है. चीन के पास लगभग 10 लाख सैनिकों की स्थायी सेना है, जहाजों की संख्या के हिसाब से यह दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वायु सेना है.
भारत पर पड़ेगा असर?
पेंटागन ने कहा कि चीन आक्रामक साइबरस्पेस क्षमताओं और निर्देशित-ऊर्जा हथियारों के अलावा इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं का विकास कर रहा है. इसे लेकर एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा, "चीनी परमाणु विस्तार से जुड़ी हर चीज किसी न किसी रूप में आश्चर्यजनक रही है..." वे बहुत तेज गति से आगे बढ़े हैं. एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने कहा, "बीजिंग शायद कई कारकों के कारण अपने शस्त्रागार का विस्तार कर रहा है, इसमें अन्य देशों के साथ तनाव भी एक बड़ा कारण है. वे शायद भारत के बारे में भी सोच रहे हैं.
पेंटागन की चौंकाने वाली रिपोर्ट
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन 2035 तक अपने परमाणु शस्त्रागार को तीन गुना कर सकता है. यह कुछ ऐसा है जिसका भारत के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव है. रिपोर्ट में चीन-भारत सीमा मुद्दे पर भी टिप्पणी की गई है. इसमें कहा गया है कि पीएलए ने "बलों की तैनाती और एलएसी के साथ बुनियादी ढांचे के निर्माण को जारी रखा है." वर्तमान में, बीजिंग की परमाणु पकड़ अभी भी रूस और अमेरिका से बहुत ज्यादा पीछे है. रूस के पास लगभग 1,588 तैनात और 2,889 वॉरहेड संग्रहीत हैं, जबकि अमेरिका के पास 1,744 तैनात और 1,964 संग्रहीत वॉरहेड हैं. चीन को 350 स्टोर किए गए वॉरहेड्स के रूप में सूचीबद्ध किया गया था और भारत और पाकिस्तान के पास लगभग 160 हैं.