Uttar Pradesh

आरक्षण के मुद्दे पर हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाएगी योगी सरकार

Published On December 28, 2022 01:50 AM IST
Published By : Mega Daily News

इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को राज्य सरकार के नगरीय निकाय चुनाव संबंधी मसौदा अधिसूचना को रद्द कर दिया. अदालत ने साथ ही उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव बिना ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण के कराने का आदेश दिया है. न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की पीठ ने यह आदेश दिया. इस फैसले से राज्य में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का रास्‍ता साफ हो गया है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है. उन्होंने भारतीय जमता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साधा. अखिलेश यादव ने लिखा, आज आरक्षण विरोधी बीजेपी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के विषय पर घड़ियाली सहानुभूति दिखा रही है. आज बीजेपी ने पिछड़ों के आरक्षण का हक़ छीना है,कल बीजेपी बाबा साहब द्वारा दिए गए दलितों का आरक्षण भी छीन लेगी. आरक्षण को बचाने की लड़ाई में पिछडों व दलितों से सपा का साथ देने की अपील है. 

वहीं, अदालत के फैसले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि प्रदेश सरकार नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन के परिप्रेक्ष्य में आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराएगी. इसके उपरान्त ही नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन को सम्पन्न कराया जाएगा. यदि आवश्यक हुआ तो राज्य सरकार उच्च न्यायालय के निर्णय के क्रम में तमाम कानूनी पहलुओं पर विचार करके सर्वोच्च न्यायालय में अपील भी करेगी. 

हाई कोर्ट का ये रहा आदेश

पीठ ने उत्तर प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा पांच दिसंबर को तैयार मसौदा अधिसूचना को रद्द करते हुए निकाय चुनावों को बिना ओबीसी आरक्षण के कराने के आदेश दिए हैं.  उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार ‘ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले’ के बिना सरकार द्वारा तैयार किए गए ओबीसी आरक्षण के मसौदे को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर उच्च न्यायालय का यह फैसला आया.

पीठ ने एक पखवाड़े से रुके नगरीय निकाय चुनाव के मुद्दे पर शनिवार को सुनवाई पूरी कर ली थी और कहा था कि वह 27 दिसंबर को अपना फैसला सुनाएगी. अदालत ने मुकदमे की प्रकृति के कारण शीतकालीन अवकाश के बावजूद मामले में सुनवाई की.

राज्य सरकार ने इस महीने की शुरुआत में त्रिस्तरीय नगरीय निकाय चुनाव में 17 नगर निगमों के महापौर, 200 नगर पालिका परिषदों के अध्यक्षों और 545 नगर पंचायतों के लिए आरक्षित सीटों की अनंतिम सूची जारी करते हुए सात दिनों के भीतर सुझाव/आपत्तियां मांगी थी और कहा था कि सुझाव/आपत्तियां मिलने के दो दिन बाद अंतिम सूची जारी की जाएगी.

राज्य सरकार ने पांच दिसंबर के अपने मसौदे में नगर निगमों की चार महापौर सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित की थीं, जिसमें अलीगढ़ और मथुरा-वृंदावन ओबीसी महिलाओं के लिए और मेरठ व प्रयागराज ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थे. दो सौ नगर पालिका परिषदों में अध्यक्ष पद पर पिछड़ा वर्ग के लिए कुल 54 सीटें आरक्षित की गई थीं जिसमें पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए 18 सीटें आरक्षित थीं. राज्य की 545 नगर पंचायतों में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित की गई 147 सीटों में इस वर्ग की महिलाओं के लिए अध्यक्ष की 49 सीटें आरक्षित की गई थीं.

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