मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव (Mainpuri By-Polls) में जीत के बाद समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पिता की विरासत संभालने में जुटे हैं और खास रणनीति पर काम कर रहे हैं. अखिलेश 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में बीजेपी को घेरने के लिए यादवलैंड को मजबूत की कोशिश कर रहे हैं. इसके लिए अखिलेश यादव पहली बार इटावा, मैनपुरी, एटा, फिरोजाबाद, औरैया, फरुर्खाबाद और कन्नौज पर पूरी तरह से फोकस कर रहे हैं.

सबसे पहले शिवपाल यादव को किया अपने साथ

समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के रणनीतिकारों का मानना है कि यादवलैंड में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के बाद किसी नेता की सबसे ज्यादा मजबूत पकड़ है तो वे शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) हैं. इसलिए, अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने यादवलैंड पर सपा की पकड़ मजबूत करने के लिए सबसे पहले अपने चाचा शिवपाल यादव को अपने पाले में लिया.

चाय-पकौड़ी के जरिए BJP को घेरने की तैयारी

चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) को अपने पाले में लेने के बाद अब अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) का फोकस यादवलैंड के युवाओं पर है. इसके लिए वो हर गांव में युवाओं से सीधे जुड़ कर भविष्य की रणनीति को मजबूत बना रहे हैं और चाय-पकौड़ी के जरिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) को घेरने की तैयारी में लगे हैं. अपनी यात्राओं के दौरान वे यहां पर चाय, पकौड़ी और भुने आलू का लुफ्त उठाते भी दिखाई देते हैं. इसे सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है.

शिवपाल यादव ने अखिलेश को मान लिया है अपना नेता

शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) ने अपनी पार्टी का समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में विलय कर लिया है और साथ ही अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को अपना नेता मान चुके हैं. ऐसे में अखिलेश यादवलैंड में कोई रिक्त स्थान नहीं छोड़ना चाहते हैं और नई पीढ़ी पर अपनी छाप छोड़ने में जुटे हैं.

उपचुनाव में जीत के बाद ज्यादा सक्रिय हुए अखिलेश

सपा के एक नेता ने बताया है कि मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत के बाद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) अपने क्षेत्र में ज्यादा सक्रिय दिखाई दे रहे हैं. अखिलेश चुनाव के दौरान भी वह लगातार सक्रिय रहे थे, लेकिन अब हर छोटे -बड़े कार्यक्रम में नजर आ रहे हैं. अखिलेश यादव को लगने लगा है कि अगर अपने वोट बैंक को सहेज लिया जाए तो आने वाले चुनाव में अच्छा काम हो सकता है.

पिता मुलायम सिंह यादव की राह पर अखिलेश

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने अपने क्षेत्र को मजबूत करने में बहुत मेहनत की थी. मैनपुरी के आसपास के लोग उनके क्षेत्र छोड़ने के बाद लखनऊ और दिल्ली में जाकर मिलते थे. मुलायम उनकी समस्या सुनते और निपटाते थे. लोगों से उनका व्यक्तिगत जुड़ाव ही उनकी ताकत थी. इसीलिए उन्होंने इटावा, कन्नौज, फिरोजाबाद जैसे यादव बाहुल इलाके में अपनी पार्टी को मजबूत बनाए रखा. शायद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) 2024 के चुनाव के दौरान इतना समय इन क्षेत्रों में न दे पाएं, इसी कारण वे पिता मुलायम सिंह के न रहने के बाद उनकी खाली जगह को भरने और ज्यादा से ज्यादा समय यहां देने के प्रयास में लगे हैं.

यादवलैंड में बढ़ रही है बीजेपी की दखल

साल 2014 से मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav का गढ़ रहे यादवलैंड पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) लगातार अपनी दखल बढ़ा रही है. उसी का नतीजा रहा कि 2019 में न सिर्फ यादव बाहुल्य क्षेत्र, कन्नौज, फिरोजाबाद, जैसे इलाकों में बीजेपी ने कब्जा जमा लिया. इसके साथ ही उनके सबसे मजबूत इलाके गृह जनपद इटावा में भी कमल खिलाया है. पिछले चुनाव में सपा से नाराज होने वाले तमाम कद्दावर नेताओं को भाजपा ने अपने साथ जोड़ा है. उन्हें संगठन के साथ सियासी मैदान में उतार कर नया संदेश देने का भी काम किया है. इसका भाजपा को कुछ लाभ भी मिला है.

नुकसान के बाद सपा ने बदली अपनी रणनीति

यादवलैंड में लगातार हो रहे नुकसान के बाद समाजवादी पार्टी (SP) ने अपनी रणनीति बदली और सारे विवाद भुलाकर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने अपने चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) को साथ जोड़ा. इसके साथ ही उन्होंने उपचुनाव से दूर रहने की परंपरा को खत्म कर घर-घर जाकर चुनाव प्रचार भी किया, जिसका फायदा सपा को हुआ और उपचुनाव में जीत मिली. सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आशुतोष वर्मा का कहना है कि फिरोजाबाद, एटा, मैनपुरी, इटावा, कन्नौज जैसे इलाकों से नेता जी के जमाने से लोग प्यार देते रहे हैं. 2014 और 2019 में जरूर इन क्षेत्रों में हमें कुछ नुकसान हुआ है, लेकिन हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष इस नुकसान की भरपाई के लिए खुद इन क्षेत्रों में जा रहे हैं और लोगों से मिल रहे हैं.

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