उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की एक औरत ने प्रिमैच्योर बेबी के तौर पर प्लास्टिक की गुड़िया को जन्म दिया, जिसके बाद उसके घर और अस्पताल में हड़कंप मच गया. महिला ने दावा किया कि प्लास्टिक की गुड़िया ही उसकी बच्ची है. लेकिन जब इस रहस्य से पर्दा उठा तो ये तय करना मुश्किल हो गया कि महिला के इस झूठ के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है और किसे इस पर शर्म करनी चाहिए ? 

इस वाकये से ये साफ है कि किसी औरत के लिए मां बनने और मां न बन पाने के दरमियान जो फासला है, उसे माप पाना बेहद मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन भी है. यूपी के इटावा की इस  औरत ने मां न बन पाने और रिश्तेदारों के तानों से बचने के लिए जो कदम उठाया, वह पूरे समाज के गाल पर एक तमाचा है. महिला ने गर्भवती होने का महीनों तक झूठा नाटक किया और फिर उसने नकली बच्चे को भी जन्म दे दिया. 

प्रिमैच्योर बच्चे को जन्म देने का दावा 

अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, महिला के ’गर्भावस्था’ के छठे महीने में ही पेट में दर्द की शिकायत के बाद उसे इटावा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया गया, जहां उसने एक बच्चे को जन्म दिया. लेकिन ये बच्चा इंसान का बच्चा न होकर प्लास्टिक की गुड़िया थी. महिला ने दावा किया कि उसने समय से पहले यानी एक प्रिमैच्योर बच्चे को जन्म दिया है, जो एक प्लास्टिक की गुड़िया के रूप में सामने आया है.

डॉक्टर ने खोल दी महिला की पोल 

प्लास्टिक के बच्चे पैदा करने वाली महिला का झूट उस वक्त पकड़ा गया जब सीएचसी के डॉक्टर ने कहा कि यह असली बच्ची नहीं बल्कि प्लास्टिक की गुड़िया है. डॉक्टर ने गर्भावस्था से संबंधित सारे कागजात और एक्स-रे की जांच की जिसके बाद पाया गया कि उसके सारे रिपोर्ट फर्जी थे. चिकित्सा अधीक्षक, डॉ. हर्षित के मुताबिक, महिला नियमित रूप से पेट के संक्रमण के इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्र आती थी, न कि गर्भावस्था से संबंधित जांच के लिए, जैसा कि उसने दावा किया है.

रिश्तेदार मारते थे ताना 

डॉक्टर ने कहा, महिला की शादी को काफी वक्त हो गए थे और वह गर्भवती नहीं हो पा रही थी. इसलिए बांझपन के ताने से छुटकारा पाने के लिए उसने यह कहानी गढ़ी. महिला की शादी को 18 साल से ज्यादा वक्त हो चुके हैं, लेकिन वह गर्भधारण नहीं कर पा रही थी. इस बात को लेकर उसके परिवार वालों ने उस पर ताना मारते थे.

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