नागालैंड (Nagaland) में बीते साल मोन जिले में सेना के एक ऑपरेशन के दौरान फायरिंग की गई थी। ऑपरेशन में 14 नागरिकों की मौत हो गई थी। गुस्साए हुए लोगों ने मौके पर एक जवान की हत्या भी कर दी थी। इस मामले पर अब पुलिस ने चार्जशीट पेश की है और केंद्र से जवानों पर कार्रवाई की मांग की है। पुलिस ने कहा कि नियमों को नजरअंदाज किया गया। सोम जिले में उग्रवाद विरोधी अभियान में नागरिकों की मौत की घटना पर नागालैंड के डीजीपी टीजे लोंगकुमेर ने कहा कि जांच से पता चला कि 21 पैरा स्पेशल फोर्सेज की ऑप्स टीम ने एसओपी और सगाई के नियमों का पालन नहीं किया था। उनकी गैर-आनुपातिक गोलीबारी में ग्रामीणों की तत्काल हत्या हुई। एसआईटी की टीम ने अपनी चार्जशीट कोर्ट को सौंप दी है। चार्जशीट में सेना के 30 जवानों के नाम हैं। जिसमें एक अधिकारी और स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के 21 पैरा स्पेशल फोर्स के जवानों ने एसओपी का पालन नहीं किया। नागालैंड पुलिस ने शनिवार को कहा कि सेना के जवानों ने पिछले साल दिसंबर में मोन जिले में उग्रवाद विरोधी अभियान के दौरान मानक संचालन प्रक्रिया यानी एसओपी और नियमों का पालन नहीं किया। जिससे कम से कम 14 नागरिकों की मौत हो गई थी। मोन जिले के ओटिंग इलाके में हत्याओं पर भारी हंगामे के बीच सेना ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी शुरू की थी। जबकि राज्य सरकार ने घटना की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। नागालैंड सरकार ने चार्जशीट में नामजद सेना के जवानों के खिलाफ कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार से इजाजत मांगी है। जिसके लिए पुलिस ने रक्षा मंत्रालय को लिट्ठी लिखी है।

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