भारत में कई ऐसी जगह हैं जिन्हें भुतहा कहा जाता है. इनमें इमारतें, सड़कें, बंद घर और भी ऐसी कई जगह हैं जहा जाने से लोग डरते हैं. आज हम आपको एक ऐसे भुतहे रेलवे स्टेशन के बारे में बताने जा रहे हैं जहां सूर्यास्त के बाद लोग जाने से बचते हैं. हम बात कर रहे हैं बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन की. बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले स्थित है. इस रेलवे स्टेशन को 1960 में संताल की तत्कालीन रानी लखन कुमारी ने भारतीय रेलवे के साथ मिलकर बनवाया था. निर्माण के छह साल बाद तक इस रेलवे स्टेशन पर सब कुछ सामान्य था. आइये आपको बताते हैं इसके बाद ऐसा क्या हुआ जो अब इसे भुतहा रेलवे स्टेशन कहा जाता है...

बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन पर 1967 में एक ऐसी घटना हुई जिसके बाद कहा जाने लगा कि यहां प्रेत का साया है. गांव के लोग बताते हैं कि इस रेलवे स्टेशन पर एक महिला का भूत घूमता. इस भूत से सबसे पहले एक रेलवे कर्मचारी का आमना-सामना हुआ था. लोग ये मानते हैं कि महिला को ट्रेन के आगे फेंक दिया गया था या उसने खुद ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली थी.

पहली घटना के बाद जब रेलवे कर्मचारी ने भूत के बारे में बताया था तो उसकी बातों को हंसी में उड़ा दिया गया था. इस घटना के कुछ ही दिन बाद जब स्टेशन मास्टर और उनके परिवार के लोग रेलवे फ्लैट में मरे मिले तो लोगों को होश उड़ गए. जिसके बाद लोगों ने यह मान लिया कि वास्तव में इस रेलवे स्टेशन पर भूत का साया है. स्टेशन मास्टर और उनके परिवार के साथ हुई घटना के बाद लोगों ने यहां जाना बंद कर दिया. इतना ही नहीं रेलवे स्टेशन को भी बंद कर दिया गया.

लंबे समय के बाद 1990 में लोगों की मांग उठने लगी कि रेलवे स्टेशन को फिर शुरू किया जाए. इसके लिए एक कमेटी का भी गठन हुआ और मांग अधिकारियों के सामने रखी गई. स्टेशन को चालू करने की मांग तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी के सामने भी रखी गई. पत्र लिखकर उनसे कहा गया कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें. 42 साल बाद अगस्त 2009 में स्टेशन चालू हो पाया. लेकिन इस स्टेशन पर भुतहा टैग अब भी लगा हुआ है. बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन पर सूर्यास्त के बाद लोग अब भी जाने से डरते हैं. 

Trending Articles