गैस के बढ़े दाम, 80 फीरसोई गैस के दाम में आए उछाल से गरीब परिवारों के लिए सिलिंडर खरीदना सपना बन गया है। प्रधानमंत्री ने भले ही उज्जवला योजना के तहत गरीब महिलाओं को चूल्हा फूंकने से निजात दिलाने के लिए मुफ्त में गैस सिलिंडर बांटा हो, लेकिन अब रिफिल कराना उन परिवारों के बस की बात नहीं रही। नतीजतन उज्जवला योजना के तहत बांटे गए सिलिंडर लोगों के घरों में शोपीस बनकर रह गए है। सिलिंडर मिलने के बाद किसी ने पांच तो किसी ने चार बार रिफिल कराने के बाद तौबा कर ली। फिलहाल 80 फीसदी से ज्यादा लोगों ने रिफिल कराना बंद कर दिया है।

मंझनपुर स्थित कमला गैस सर्विस के प्रोपाइटर के मुताबिक जिले में इंडेन और एचपी की करीब 25 एजेंसी हैं। इनमें करीब एक लाख 75 हजार उपभोक्ता हैं। इन उपभोक्ताओं में 98 हजार के करीब उज्जवला योजना के लाभार्थी महिलाएं हैं। कंपनी के मानक के हिसाब से पात्र लाभार्थियों को कनेक्शन तो दिया गया लेकिन अब उनकी रिफिल नहीं हो पा रही है। वर्ष 2016 में जब योजना लागू की गई थी उस दौरान सिलिंडर की कीमत करीब 500 रुपये थी।

अब वहीं घरेलू गैस का दाम 1106 रुपया हो गए हैं। इसकी वजह से खासकर उज्जवला से कनेक्शन लेने वाले लाभार्थियों ने रिफिल कराने से दूरी बना ली। उज्जवला योजना के महज 15-20 फीसदी लाभार्थी ही सिलिंडर की रिफिल करा रहे हैं। चायल तहसील के उमरवल गांव की रानी पत्नी सहदेव को वर्ष 2018 में उज्जवला का सिलिंडर मिला है। रानी आज भी चूल्हे पर खाना पकाती हैं।

रानी का कहना है जब से सिलिंडर मिला तब से लेकर आज तक सिर्फ चार बार ही उसने रिफिल कराया है। नसीरपुर गांव की चंदा देवी पत्नी राधेश्याम को भी 2018 में कनेक्शन मिला था। कनेक्शन मिलने के बाद से अब तक चंदा ने सिर्फ तीन बार ही रिफिल कराया है।

आंकड़ों में करना होता है खेल

जिले के एक गैंस एजेंसी संचालक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कंपनी का दबाव है कि उज्जवला के लाभार्थियों का सिलिंडर रिफिल कराया जाए। ऐसे में जुगाड़ का सहारा लिया जाता है। होटल, ढाबा संचालकों को सिलिंडर की जरूरत होती है। उन्हें सिलिंडर तो दे दिया जाता है लेकिन उसकी रिफिल किसी उज्जवला के लाभार्थी के नाम पर दर्ज की जाती है। यह सब कंपनी का कोरम पूरा करने के लिए किया जाता है।

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