असम और नगालैंड के बीच सीमा विवाद के कारण गोलाघाट-वोखा सीमा से सटे गांव में बिजली सप्लाई जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं. नगालैंड बीज फार्म परिसर के मेरापानी में स्थित यह क्षेत्र विवादित है. असम इलाके के गोलाघाट जिले के अंदर होने का दावा करता है जबकि नगालैंड इसे वोखा सीमा के अंदर का हिस्सा मानता है. इलाके के एक निवासी सज्जन भेंगरा ने बताया, 'हम दो राज्यों के बीच नियंत्रण के इस संघर्ष में फंस गए हैं और बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित हैं. हमारे पास कोई बिजली कनेक्शन, अच्छी सड़कें और पीने योग्य पानी नहीं है.'

उन्होंने दोनों राज्यों की सरकारों पर आरोप लगाते हुए कहा, असम और नगालैंड सरकारों ने कई बार बिजली कनेक्शन देने की कोशिश की और यहां तक ​​कि खंभे भी खड़े कर दिए गए. लेकिन विवादित क्षेत्र होने के कारण दोनों राज्यों की सरकारें एक दूसरे के काम में रोड़ा अटका देती हैं.

विधायक से की बात लेकिन कुछ नहीं हुआ

उन्होंने कहा कि यहां के लोग असम में गोलाघाट निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता हैं, लेकिन, जिस क्षेत्र में वे रहते हैं वह नगालैंड के बीज फार्म के सीमांकित परिसर के भीतर है. एक अन्य स्थानीय सुशीला बागा ने बताया कि उन्होंने अपने स्थानीय विधायक अजंता नियोग (असम के वित्त मंत्री) और अन्य नेताओं से बात की लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है.

उन्होंने बताया कि उनके गांव में लगभग 30-40 परिवारों को सोलर लाइट लगाने के लिए विधायक की ओर से हर एक को 7,000 रुपये दिए गए थे, लेकिन लगभग सभी लोगों ने अन्य जरूरतों के लिए पैसे का इस्तेमाल किया. असम से अलग होकर नगालैंड राज्य की स्थापना 1963 में हुई थी जिसके बाद से ही दोनों राज्यों के बीच अंतर-राज्यीय सीमा विवाद चला आ रहा है. दोनों राज्य 512.1 किमी लंबी सीमा साझा करते हैं.

सीमाओं को किया था परिभाषित

नगालैंड राज्य अधिनियम, 1962 ने 1925 की अधिसूचना के अनुसार अपनी सीमाओं को परिभाषित किया था. उस वक्त नगा हिल्स और तुएनसांग क्षेत्र (एनएचटीए) को एक नई प्रशासनिक इकाई में एकीकृत किया गया था और एक स्वायत्त क्षेत्र बनाया गया था. हालांकि, नगालैंड ने सीमा निर्धारण को स्वीकार नहीं किया और अंग्रेजों द्वारा बनाए गए 1866 अधिसूचना के तहत नए राज्य में नगा पहाड़ियों और असम के तत्कालीन उत्तरी कछार और नगांव जिलों में सभी नगा-बहुल क्षेत्रों को शामिल करने की मांग की.

इस मांग के कारण दोनों के बीच तनाव भड़क गया जिसके परिणामस्वरूप 1965 में पहली बार सीमा संघर्ष हुआ और इसके बाद 1968, 1979, 1985, 2007 और 2014 में सीमा पर दोनों राज्यों के बीच बड़ी झड़पें हुईं. हालांकि, असम सरकार ने सीमा की पहचान और सीमा विवादों को हल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक मामला दायर किया था जो अभी भी लंबित है.

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