अलवर के राजगढ़ में 300 साल पुराने मंदिर तोड़ेने के मामले पर सियासत गरमाती जा रही है. बीजेपी इस मुद्दे को लेकर सत्तारूढ़ दल कांग्रेस पर आक्रमक है. वहीं, कांग्रेस भी बीजेपी के आरोपों पर पलटवार करने का एक भी मौका छोड़ने को तैयार नहीं है. राजस्थान के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल और मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि राजगढ़ में बीजेपी का बोर्ड है और नगर पालिका ने सर्वसम्मति से तोड़ने का फैसला किया है. शांति धारीवाल ने बताया कि राजगढ़ में बीजेपी का बोर्ड है और बीजेपी ने यह कार्रवाई की है. राज्य सरकार का इससे कोई लेना देना नहीं है. कोई भी धार्मिक स्थल हटाने से पहले राज्य सरकार को सूचना दी जाती है, लेकिन इस कार्रवाई से पहले किसी को नहीं पूछा गया, सरकार को इस बात की कोई जानकारी नहीं दी गई.

राज्य सरकार के मंत्री शांति धारीवाली और प्रतापसिंह खाचरियावास ने राजगढ़ मामले को लेकर प्रेसवार्ता कर अपनी बातें रखीं. मंत्री धारीवाल ने बताया कि राजगढ़ नगर पालिका के अधिकारी से इस मामले में तीन दिन के भीतर रिपोर्ट मांगी गई है. कितने अतिक्रमण हटाने थे, कैसे कार्रवाई हुई, बोर्ड के प्रस्ताव के बाद ही ये कार्रवाई हुई है. धारीवाल ने कहा कि सामान्य तौर पर नगरपालिका अतिक्रमण हटाने के बारे में नहीं बताती है, लेकिन ये धार्मिक स्थल से जुड़ा मामला था. नगर पालिका को इस बारे में राज्य सरकार के संज्ञान में मामला लाना चाहिए थी, लेकिन किसी ने भी इस तरह की जानकारी नहीं दी.

वहीं, मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने बीजेपी पर निशाना साधाते हुए कहा कि पाप बीजेपी ने किया है.कांग्रेस को बदनाम किया जा रहा है. कांग्रेस सरकार इस तरह की ओछी राजनीति नहीं करती है. बीजेपी का कई बार चरित्र सामने आ चुका है. हाईकोर्ट और कोई कोर्ट आड़े नहीं आते तो हम मंदिर बनवा देंगे.

नगर पालिका बोर्ड की बैठक में हुआ अतिक्रमण हटाने का हुआ था फैसला

मंत्री धारीवाल ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मेला ग्राउंड और गौरव पथ-गोल चक्कर से अतिक्रमण हटाने को लेकर 8 सितम्बर को बोर्ड की बैठक हुई थी, इसमें अतिक्रमण हटाने को लेकर सभी ने सहमति जताई. उसके बाद अतिक्रमियों को नोटिस दिया गया. कुछ लोगों ने नोटिस का जवाब दिया तो कुछ ने कोई जवाब नहीं दिया.. मंदिर आखिर में रह गया. एक मंदिर नया था एक मंदिर पुराना था. उन्होंने कहा कि 17 और 18 अप्रैल को जब अतिक्रमण हटाया गया तो पहला मंदिर हाल ही में नाले पर बनाया था. इस मंदिर को निर्माणकर्ताओं ने हटा लिया, शिव मंदिर में शिव पंचायत को कायदे से हटाया गया. इस मामले पर जल्द ही रिपोर्ट आएगी उसके बाद इस पर फैसला लिया जाएगा.

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