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10वीं की छात्रा ने की आत्महत्या, सोशल मीडिया पर सुसाइड नोट वायरल, रामदेव बोले- ये सुसाइड नोट नहीं बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह है

Published On March 05, 2023 08:01 PM IST
Published By : Mega Daily News

राजस्थान की दसवीं की एक छात्रा ने बोर्ड परीक्षा में अच्छा नंबर लाने के दबाव में सुसाइड कर लिया है। एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसमें उसने कहा है कि ‘वह शायद 95नहीं ला पाएगी, वह 10वीं कक्षा से परेशान हो गई है।’ सोशल मीडिया पर सुसाइड नोट वायरल हो रहा है। बाबा रामदेव से लेकर कई अधिकारी बच्चों पर परीक्षा में अच्छा नम्बर लाने का प्रेशर और शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं।

क्या लिखा है सुसाइड नोट में ?

सुसाइड नोट में बच्ची ने लिखा है कि I am Sorry Mummy Papa, मेरे से नहीं हो पायेगा। मैं नहीं बना पाती 95 प्रतिशत, मैं 10th क्लास से परेशान हो गई हूं। मुझसे अब और नहीं सहा जाता है। I love you मम्मी, पापा और ऋषभ। साथ में बच्ची ने यह भी लिखा है कि I am So sorry। इस पत्र को शेयर करते हुए आईआरएस ऑफिसर देव प्रकाश मीणा ने भी ट्वीट कर बच्चों को समझाने की कोशिश की है। वहीं बाबा रामदेव ने भी शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठाया है।

IRS अधिकारी ने कही ये बात

IRS अधिकारी देव प्रकाश मीना ने लिखा कि फिर नंबरों की दौड़ की भेंट चढ़ गई एक बच्ची, बच्चों पर इतना मत दबाव डालो कि वो खुद को ही खत्म करलें। बोर्ड परीक्षा आ रही हैं, बच्चों को इस बारे में लगातार संबल प्रदान करते रहें। वहीं बाबा रामदेव ने लिखा है कि “यह एक मासूम का सुसाइडनोट नही बल्कि समूची शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह है।” सोशल मीडिया अन्य लोग भी अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

@veereshbhartiya यूजर ने लिखा कि बिल्कुल सही,, शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है।
@jayy2626 यूजर ने लिखा कि पता नहीं क्या करवाएंगे बच्चों से 90मार्क्स प्राप्त करवाकर, जिनके 80या 85या 70–75आते हैं क्या वो अपनी लाइफ में कुछ नहीं कर पाते? जरा पूछो यूपीएससी, पीसीएस क्लियर करने वालों से कि उनके 10th 12th में कितने पर्सेंट मार्क्स आए थे, 60/70वाले भी अफसर बनते हैं! एक अन्य यूजर ने लिखा कि किसी बच्चे की काबिलियत जांचने का पैमाना “नंबर” नहीं हो सकता। हमारे शिक्षा नीति में खोट है। औद्योगिक क्रांति के बाद शिक्षा को पूरी तरह पूंजीवादी सिस्टम के अधीन कर दिया गया।

@LOL81490514 यूजर ने लिखा कि यह उन माता पिता की मानसिकता पर भी प्रश्न चिन्ह है जो बार बार यह याद दिलाते हैं कि यह एग्जाम कितना जरूरी है। पर यह याद दिलाना भूल जाते हैं कि उनका बच्चा, उनके लिए संसार के हर सुख हर धन से कीमती है। आशुतोष शुक्ल नाम के यूजर ने लिखा कि इन घटनाओं के पीछे बच्चों के अभिभावकों का भी बहुत बड़ा योगदान है अप्रत्यक्ष रूप से। समझाने की जरूरत बच्चों से ज्यादा अभिभावकों को है।

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