क्रिकेट से जुड़े कई नियम होते हैं. तकनीक के आने से कई नियम बदले भी गए हैं. हालांकि कुछ अब भी वैसे ही हैं, जैसे इस खेल की शुरुआत में थे. आपमें से बहुत से लोग सोचते होंगे कि आखिर इस खेल में 3 स्टंप्स रखकर ही क्यों खेलते हैं. बहुत से लोगों को इसके पीछे का कारण नहीं पता है. आइए जानते हैं कि आखिर क्यों बल्लेबाज और गेंदबाज अपने-अपने छोर पर केवल तीन ही स्टंप्स रखकर खेलते हैं.

इंग्लैंड है क्रिकेट का जनक

इंग्लैंड को क्रिकेट का जनक माना जाता है. यूं तो इस खेल के बारे में कहा जाता है कि यह 16वीं शताब्दी के दौरान शुरू हुआ, लेकिन आधिकारिक तौर पर कोई क्रिकेट मैच साल 1877 में खेला गया. तब टेस्ट फॉर्मेट में ही मुकाबले होते थे. इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच आधिकारिक तौर पर पहला टेस्ट मैच खेला गया था. इसके बाद कई देशों की टीम बनीं. आज मुख्य तौर पर ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, भारत, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका का इस खेल पर दबदबा देखा जाता है.

ऐसे आए क्रिकेट में नियम

साल 1744 में क्रिकेट में पहली बार नियमों को लिखा गया और बाद में 1774 में संशोधित किया गया. इसी दौरान एलबीडब्ल्यू, तीसरा स्टंप, मिडिल स्टंप और बल्ले की अधिकतम चौड़ाई जैसी बातें नियमों में जोड़ी गईं. कोड 'स्टार एंड गार्टर क्लब' द्वारा तैयार किए गए थे, जिसके सदस्यों ने अंततः 1787 में लॉर्ड्स में प्रसिद्ध मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब की स्थापना की. एमसीसी क्रिकेट से जुड़े नियमों का संरक्षक बन गया और तब से आज तक इसमें संशोधन करता रहा है.

क्रिकेट में केवल 3 ही स्टंप्स

बहुत से लोग जानना चाहते होंगे कि आखिर स्टंप्स की संख्या पर क्या-क्या किया गया. केवल 3 ही स्टंप्स रखकर खेलने के नियम की बात करें तो यह काफी पहले से है. पहले केवल 2 स्टंप्स रखकर भी खेला जाता था, लेकिन तब इनके बीच का गैप ज्यादा था और गेंद इनके बीच से निकलकर चली जाती थी. ऐसे में बल्लेबाज के आउट होने का पता ही नहीं चलता था. आधुनिक अवधारणा के अनुसार, बाहर के दो स्टंप्स ऑफ और लेग का बताते हैं. गेंद दोनों छोर के स्टंप के बीच की जगह (गैप) से गुजरे और बल्लेबाज आउट हो, उसी के लिए तीसरा स्टंप अस्तित्व में आया जिसे मिडिल स्टंप कहा जाता है.

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