Religious

निर्जला एकादशी: व्रत का फल तभी मिलता है, जब व्रत के नियमों का सही से पालन किया जाए, जाने व्रत के नियम

Published On June 08, 2022 09:43 AM IST
Published By : Mega Daily News

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखे जाने वाला व्रत निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु को समर्पित इस व्रत में पूजा-पाठ और व्रत रखा जाता है. ताकि भगवान विष्णु की कृपा पाई जा सके. निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस बार ये एकादशी 10 जून को पड़ रही है. 

सभी एकादशियों में निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठिन है. धार्मिक दृष्टि से इस व्रत में अन्न, जल और फल कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता. व्रत का फल तभी मिलता है, जब व्रत के नियमों का सही से पालन किया जाता है. आइए जानें निर्जला एकादशी व्रत के नियमों के बारे में. 

निर्जला एकादशी व्रत नियम

- ज्योतिष अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत रख रहे लोगों को दशमी तिथि की शाम से ही भोजन नहीं करना चाहिए. इस दिन सिर्फ फल, पानी, जूस आदि ही ग्रहण करें. इसके बाद अगले दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें. स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद स्वस्थ वस्त्र धारण करें. 

- घर के पूजा स्थल पर जाकर भगवान को प्रणाम करें और व्रत का संकल्प लें. पूरे दिन निर्जला व्रत रखें. इस दिन भगवान का ही गुणगान करें. कटु वचन न बोलें. 

- व्रत के दौरान बड़े-बुजुर्गों, महिलाओं का सम्मान करें. संभव हो तो रात को सोएं नहीं. बल्कि भगवान का ध्यान करें. भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का ध्यान करें. अगले दिन द्वादशी के दिन सुबह स्नान  आदि करने के बाद विधि पूर्वक पूजा करें. 

- गरीबों और ब्रह्माणों को भोजन कराएं और दान दें. व्रत का पारण शुभ मुहूर्त में ही करें. एकादशी के व्रत में पारण का भी विशेष महत्व होता है. इसलिए शुभ मुहूर्त के अंदर ही पार करें. बता दें कि निर्जला एकादशी में पारण का मुहूर्त 11 जून सुबह 5 बजकर 49 मिनट से लेकर 8 बजकर 29 मिनट तक है.

एकादशी करें निर्जला भगवान मुहूर्त विष्णु ग्रहण नियमों स्नान ध्यान ज्येष्ठ शुक्ल समर्पित पूजापाठ भीमसेन nirjala ekadashi fruit fast obtained rules followed properly know fasting
Related Articles