चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है. इस बार चैत्र नवरात्रि 22 मार्च बुधवार यानी की कल से शुरू हो रहे हैं. ऐसे में ये नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. कहते हैं कि ये नौ दिन मां अम्बे धरती पर भक्तों के बीच होती हैं और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उनकी सभी कामनाएं पूर्ण करती हैं.

वास्तु शास्त्र में भी नवरात्रि को लेकर कुछ नियमों के बारे में बताया गया है. ये नौ दिन अगर वास्तु को ध्यान में रखकर पूजा की जाए या फिर मां दुर्गा की चौकी तैयार की जाए, तो पुण्य फलों की प्राप्ति होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मान्यता है कि वास्तु के अन नियमों का पालन करने से घर में वास्तु दोष भी उत्पन्न नहीं होता. साथ ही, नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं. आइए जानें नवरात्रि की पूजा के दौरान किन वास्तु नियमों का ध्यान रखना चाहिए.

कलश स्थापना की सही दिशा

वास्तु जानकारों का कहना है कि चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घर के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ चुना और हल्दी से स्वास्तिक बनाएं. इसके साथ ही, मां की प्रतिमा या तस्वीर के साथ कलश स्थापना घर के ईशान कोण में करें. कहते हैं कि घर की इस दिशा में देवी-देवताओं का वास होता है.

अखंड ज्योति के लिए सही दिशा

घर के पूजा स्थल को पहले साफ  कर लें उसके बाद ही वहां मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें. पहले गंगाजल से छिड़काव कर उस जगह को शुद्ध कर लें. इगर आप अखंड ज्योति प्रज्जवलित कर रहे हैं, तो दीपक को घर के आग्नेय कोण में रखें. बता दें कि घर की ये दिशा अग्नि का प्रतिनिधित्व करती है. इस दिशा में अखंड ज्योति जलाने से शत्रुओं पर विजाय पाई जा सकती है.

इस दिशा में हो मां दुर्गा की मूर्ति

वास्तु जानकारों का कहना है कि पूजा के लिए इस्तेमाल होने वाले सामान को अलग-अलग जगह पर स्थापित करने से लाभ होता है. हर चीज के लिए अलग दिशा निर्धारित है. पूजा से पहले मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करने से पहले सही दिशा का ज्ञात होना बेहद जरूरी है. बता दें कि घर के ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में ही मां की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए.

पूजा करते समय इस दिशा में रखें मुख

वास्तु अनुसार पूजा करते समय व्यक्ति का मुख पूर्व या उत्तर की तरफ होना चाहिए. इस बात का ख्याल जरूर रखना चाहिए. कहते हैं कि इस तरह पूजा करने से व्यक्ति का सम्मान बढ़ता है क्योंकि इस दिशा को शक्ति और शौर्य का प्रतीक माना जाता है. इसके साथ ही मां दुर्गा की मूर्ति के पीछे दुर्गा बीसा यंत्र की स्थापना भी अवश्य करनी चाहिए.

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