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जाने एक ऐसे मंदिर के बारे में, जहां हनुमानजी की गिलहरी रूप में पूजा होती है

Published On July 08, 2022 01:59 AM IST
Published By : Mega Daily News

देशभर में हनुमान जी के भक्तों की कमी नहीं हैं. देशभर में कई ऐसे चमत्कारी मंदिर है, जिनमें हनुमान जी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है. आज हम जानेंगे हनुमान जी के ऐसे ही एक मंदिर के बारे में जानेंगे, जहां हनुमान जी के गिलहरी रूप की पूजा होती है.  

देशभर में श्री राम भक्त हनुमान जी के मंदिर ढेरों मंदिर हैं, जिनकी अलग आस्था और मान्यता है. सभी जगह हनुमान जी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है. ऐसे ही अलीगढ़ में एक ऐसा मंदिर है जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, यहां पर हनुमान जी को गिलहरी के नाम से पूजा जाता है, भक्तों का कहना है यहां 41 दिन पूजा करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है.

दरअसल, गांधी पार्क थाना इलाके के अचल सरोवर पर 50 से अधिक देवी देवताओं के मंदिर बने हुए हैं, यही अचल सरोवर के किनारे हनुमान जी को समर्पित श्री गिलहराज जी महाराज मंदिर विश्वभर में प्रसिद्ध भी बना हुआ है, श्री हनुमान जी कि यहां पर गिलहरी के रूप में पूजा अर्चना की जाती है. यहां आसपास करीब 50 से ज्यादा मंदिर है लेकिन गिलहराज जी मंदिर की मान्यताएं सबसे ज्यादा ऊपर है, यहां हर मंगलवार को दूरदराज से चलकर लोग श्री हनुमान जी के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. 

लोगों का कहना है 41 दिन दर्शन करने से यहां हर मनोकामना पूरी होती है. यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है. मंदिर के महंत ने बताया जाता है कि श्री गिलहराज जी महाराज के इस प्रतीक की खोज सबसे पहले पवित्र धनुर्धर श्री महेंद्रनाथ योगी जी महाराज ने की थी जो एक सिद्ध विधर्मी थे. मान्यता है कि हनुमान जी इन्हें सपनों में मिले थे. वह अकेले थे जिसे पता था कि भगवान कृष्ण के भाई दाऊजी महाराज ने पहली बार हनुमान को गिलहरी के रूप में पूजा की थी. अचल ताल के मंदिर में भगवान हनुमान जी की आंख दिखाई देती है.

सपने में दर्शन देकर हनुमान जी ने बताया था 

इस मंदिर का निर्माण सैकड़ों वर्ष पुराने समय में नाथ संप्रदाय के एक महंत ने करवाया था बताया जाता है हनुमान जी उन्हें सपने में उन्हें दर्शन दिए थे और कहा कि अचल ताल पर निवास करता हूं. वहां मेरी पूजा करो. जब उस महंत ने अपने शिष्य को अचल सरोवर पर खोज करने के लिए भेजा तो उन्हें वहां मिट्टी के ढेर पर बहुत सारी गिलहरीया मिली. उन्हें हटाकर जब उन्होंने उस जगह को हावड़ा से खोदा तो वहां जमीन के नीचे से मूर्ति निकली. यह मूर्ति गिलहरी के रूप में हनुमान जी की थी. जब महंत जी को इस बारे में अवगत कराया गया तो वह भी अचल सरोवर पर आ गए. इस मंदिर को बहुत ही प्रसिद्ध बताया जाता है. ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण के भाई दाऊ जी ने यहां अचल सरोवर पर पूजा पाठ किया था.

लगातार 41 दिन तक दर्शन से पूरी होती है मनोकामना

मंगलवार की शाम को यहां हनुमान जी मंदिर के दर्शन करने लाखों श्रद्धातु पहुंचते हैं. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां 41 दिन तक दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. भक्तों के सभी सभी दुखों का नाश होता है. साथ ही, जीवन में सुखमय होता है और खुशहाली आती है. 

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