26 सितंबर से नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है और इनका समापन 5 अक्टूबक विजय दशमी के दिन किया जाएगा.इन 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. कहते हैं कि ये 9 दिन मां दुर्गा भक्तों के बीच धरती पर आती हैं और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद देती हैं. ऐसे में हर कोई मां को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय करता है. मां की विधि-विधान से पूजा करते हैं. 

ज्योतिष शास्त्र में मंत्रों का भी विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि पूजा के बाद मंत्र जाप करने से ही पूजा पूर्ण होती है और भगवान शीघ्र प्रसन्न होते हैं. दुर्गा सप्तशती में भी मां शक्ति के कई प्रभावशाली मंत्रों के बारे में बताया गया है. इनका नियमपूर्वक जाप करने से व्यक्ति को जीवन में आरोग्य, धन, सौभाग्य, सुख-समृद्धि आदि की प्राप्ति होती है और मां का आशीर्वाद मिलता है. 

नवरात्रि में करें इन मंत्रों का जाप     

- जीवन में सुख-समृद्धि के लिए

सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तु ते।।

- दरिद्रता से मुक्ति पाने के लिए

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो।

सवर्स्धः स्मृता मतिमतीव शुभाम् ददासि।।

- असाध्य रोगों के नाश और आरोग्य प्राप्ति के लिए 

रोगानशेषानपहंसि तुष्टा

रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।

त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां

त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।

- संकटों और कष्टों के नाश के लिए 

करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी

शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः।

- आकर्षक व्यक्तित्व के लिए

ऊं महामायां हरेश्चैषा तया संमोह्यते जगत्, ज्ञानिनामपि चेतांसि देवि भगवती हि सा। बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।।

- संतान प्राप्ति के लिए 

सर्वाबाधा वि निर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।

मनुष्यो मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥

- किसी भी कार्य में सफलता के लिए 

दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके। मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।

- योग्य जीवन साथी के लिए 

पत्नीं मनोरमां देहि नोवृत्तानुसारिणीम्। तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥

- धन-वैभव के लिए

ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः। शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै।।

- आर्थिक स्थिति को मजबूत करने और तरक्की के लिए

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। सवर्स्धः स्मृता मतिमतीव शुभाम् ददासि।।

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। सवर्स्धः स्मृता मतिमतीव शुभाम् ददासि।।

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