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आखिर दशहरे के दिन क्यों खाई जाती हैं जलेबी, जानें भगवान राम से इसका कनेक्शन
आज देश भर में दशहरे का पर्व मनाया जायेगा। दशहरा हिंदूओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। और ये पर्व साल के सबसे पवित्र और शुभ दिनों में से एक माना गया है। यह पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। इसलिए ही इसे विजयादशमी या आयुध-पूजा भी कहा जाता है इसी दिन पुरूषोत्तम भगवान राम ने रावण का वध किया था। कुछ स्थानों पर यह त्यौहार विजयादशमी, के रूप में जाना जाता है। पौराणिक मान्यतानुसार यह उत्सव माता विजया के जीवन से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा कुछ लोग इस त्योहार को आयुध पूजा के रूप में मनाते हैं।
दशहरा को विजयदशमीं के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन मां दुर्गा ने राक्षक महिषासुर का वध किया था। इसके अलावा इसी दिन राम की रावण पर भी जीत हुई थी। माना जाता है कि देवी दूर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर से लड़ाई की थी। दसवें दिन, जिसे दशमी भी कहते हैं उन्हें विजय हासिल हुई थी।
दशहरे पर जब भी भी रावण दहन देखने गए होंगे तो देखा होगा कि आसपास जलेबी के बहुत से स्टॉल होते हैं। तो कभी आपने सोचा है कि दशहरे वाले दिन लोग जलेबी क्यों खाते हैं और रावण दहन के बाद जलेबी लेकर घर क्यों जाते हैं। कहते हैं कि राम को शश्कुली नामक मिठाई बहुत पसंद थी। जिसे आजकल जलेबी के नाम से जाना जाता है। इसलिए रावण पर विजय के बाद जलेबी शी मनाई जाती है।