लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किए गए कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 22 अप्रैल तक उन्हें आवंटित सरकारी बंगला खाली करना होगा.  लोकसभा की आवास समिति ने सोमवार को अपना फैसला दिया, जिसके बाद लोकसभा सचिवालय ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिखा. राहुल को ‘जेड प्लस’ सुरक्षा प्राप्त है और वह 2005 से 12 तुगलक लेन बंगले में रह रहे हैं. 

राहुल गांधी को भेजे गए इस नोटिस में यह कहा गया है कि लोकसभा सचिवालय ने 24 मार्च 2023 को एक नोटिफिकेशन जारी कर 23 मार्च 2023 से उनकी लोकसभा की सदस्यता को रद्द कर दिया गया है, इसलिए 17वीं लोकसभा के सांसद के तौर पर उन्हें अलॉट किए गए 12 तुगलक लेन के सरकारी आवास में अब वह सिर्फ अधिकतम एक महीने यानी 22 अप्रैल 2023 तक ही रह सकते हैं. नोटिस में कहा गया है कि उनको आवंटित किए गए इस सरकारी आवास का आवंटन 23 अप्रैल 2023 से रद्द किया जाता है इसका तात्पर्य बिल्कुल स्पष्ट है कि राहुल गांधी को 22 अप्रैल 2023 तक अपना यह सरकारी आवास खाली करना होगा.

किसे मिलता है सरकारी बंगला?

-सरकारी बंगला राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के जज, सांसदों और ब्यूरोक्रेट्स को लुटियंस जोन में सरकारी बंगाली आवंटित किए जाते हैं.

- इन सरकारी आवासों के आवंटन, रख-रखाव और किराए का काम डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट देखता है. इसे साल 1922 में बनाया गया था, जो शहरी आवास मंत्रालय के अधीन आता है.

- दिल्ली में सरकारी आवास आवंटित करने के लिए अलॉटमेंट ऑफ गवर्नमेंट रेसिडेंस 1963 है. इसमें दिल्ली का मतलब वो इलाका है जो केंद्र सरकार के अधीन आता है. इन बंगलों का बंटवारा सैलरी और सीनियॉरिटी के आधार पर होता है.

-लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों को आवास बांटने का काम दोनों सदनों की हाउसिंग कमेटी करती है. टाइप IV से टाइप VIII के आवास सांसदों, केंद्रीय मंत्रियों और राज्य मंत्रियों को दिए जाते हैं.

- पहली बार चुने गए सांसदों को टाइप IV के बंगले मिलते हैं. एक से ज्यादा बार चुने गए सांसद को टाइप VIII बंगला दिया जाता है.

कब खाली कराए जाते हैं ये बंगले?

- एक अधिकारी ने बताया कि सदस्यता खत्म होने के बाद सांसद को एक महीने के अंदर सरकारी बंगला खाली करना होता है. 

- राहुल गांधी को 23 मार्च को सूरत की एक अदालत ने सजा सुनाई. कोर्ट के इस फैसले के बाद उनकी सदस्यता खत्म हो गई थी. इसलिए बंगला खाली करने के लिए उन्हें 22 अप्रैल तक का समय दिया गया है.

- नेताओं से बंगले खाली कराने के मकसद से 2019 में मोदी सरकार एक कानून लेकर आई थी. इसके मुताबिक, समय पर बंगले खाली न करने पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है. 

- इसके अलावा इसमें ये भी प्रावधान है कि नोटिस मिलने के तीन दिन बाद सरकार बंगला खाली करवाने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है.

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