एनडीए के एक दिन बाद विपक्ष ने भी उपराष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. विपक्ष की राष्ट्रपति उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा होंगी. विपक्ष की सभी पार्टियों की मींटिग के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मार्गरेट अल्वा के नाम की घोषणा की है. इससे पहले खबर आई थी कि विपक्ष, एनडीए के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार की घोषणा के इंतजार में था. जिसके बाद वो अपने उम्मीदवार की घोषणा करेगा. हुआ भी कुछ ऐसा ही, एनडीए द्वारा जगदीप धनखड़ के नाम के ऐलान के बाद विपक्ष ने मार्गरेट अल्वा के नाम की घोषणा की. दिल्ली में विपक्षी दलों की बैठक के बाद मार्गरेट अल्वा के नाम पर मुहर लगी है.

मार्गरेट अल्वा ने किया विपक्ष का धन्यवाद

भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में नामित होना एक विशेषाधिकार और सम्मान की बात है. मैं इस नामांकन को बड़ी विनम्रता से स्वीकार करती हूं और विपक्ष के नेताओं को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने मुझ पर विश्वास किया.

शरद पवार के घर पर बैठक

विपक्ष की इस बैठक का आयोजन राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) के आवास पर हुआ. बैठक में कांग्रेस (Congress), तृणमूल कांग्रेस (TMC), वाम दल (Left), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), समाजवादी पार्टी (SP) सहित सभी प्रमुख विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए.

कौन हैं मार्गरेट अल्वा

14 अप्रैल 1942 को मंगलुरु में जन्मीं अल्वा ने बेंगलुरु के माउंट कार्मेल कॉलेज और गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से बीए, एलएलबी के साथ स्नातक किया. उन्होंने अपने पेशेवर करियर की शुरुआत एक वकील के रूप में की थी. उन्होंने 1964 में निरंजन अल्वा से शादी की, जिनसे उनकी एक बेटी और तीन बेटे हैं. उनके पति की 2018 में बीमारी के चलते मौत हो गई थी. मार्गरेट अल्वा 1999 में राज्यसभा के लिए चार बार और एक बार लोकसभा के लिए चुनी गईं. तब उन्होंने उत्तर कन्नड़ सीट से चुनाव जीता था.

रह चुकी हैं 4 राज्यों की राज्यपाल

मार्गरेट अल्वा को 42 साल की उम्र में केंद्रीय मंत्री बनाया गया था. वह राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में कैबिनेट मंत्री बनीं. 2008 में उन्होंने कर्नाटक चुनावों में टिकट बेचे जाने की बात कहकर एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था. मार्गरेट अल्वा ने गोवा, राजस्थान, गुजरात और उत्तराखंड के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया है.

विपक्ष ने क्यों अपनाई वेट एंड वॉच रणनीति

माना जा रहा है कि विपक्ष ने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा के लिए वेट एंड वॉच की रणनीति अपनाई है. ऐसा इसलिए किया गया क्यों कि राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों ने राजग द्वारा द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) की उम्मीदवारी का ऐलान किए जाने से पहले ही यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) को अपना संयुक्त उम्मीदवार घोषित कर दिया था. इससे शिवसेना, यूपी की क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी सुभाषपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) समेत कई अन्य गैर-बीजेपी दलों ने बाद में यशवंत सिन्हा के बजाय द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा की थी.

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