ट्रेन जब भारत में 1853 में पहली बार चली थी तब उसमें टॉयलेट (Toilet) नहीं थे. फिर अगले 56 साल तक ऐसा ही चलता रहा और 1909 में भारत के अंदर पहली बार ट्रेनों के अंदर शौचालय की व्यवस्था कराई गई. ऐसा सिर्फ एक लेटर की वजह से करना पड़ा. पेट खराब की समस्या से पीड़ित शख्स ने साहिबगंज मंडल कार्यलय को लेटर लिखा था कि वह टॉयलेट के लिए ट्रेन से उतरा था और फिर उसके लिए ट्रेन 2 मिनट भी नहीं रुकी. गार्ड की इस हरकत की वजह से वह लड़खड़ाकर पटरी पर गिर गया और उसको चोट लग गई. धोती-लोटा पकड़कर उसको रेलवे लाइन पर दौड़ना पड़ा. इस लेटर के बाद रेलवे ने बड़ा बदलाव करते हुए 50 मील से ज्यादा दूर तक चलने वाली ट्रेनों में टॉयलेट की व्यवस्था कराई.

ट्रेन में टॉयलेट लगने की दिलचस्प कहानी

अखिल चंद्र सेन ने लेटर में लिखा कि मैं रेलगाड़ी से अहमदपुर रेलवे स्टेशन पहुंचा. मैं पेट खराब की समस्या से पीड़ित था. इस वजह से मैं टॉयलेट के लिए चला गया था. इस बीच, गार्ड ने सीटी बजा दी और ट्रेन चल पड़ी. फिर ट्रेन पकड़ने के लिए मैं लोटा हाथ में पकड़े हुए और धोती संभालते ट्रेन की तरफ रेलवे लाइन पर दौड़ा.

जब महज 2 मिनट के लिए नहीं रुकी ट्रेन

उन्होंने लेटर में आगे लिखा कि मुझे उस वक्त सब लोग देख रहे थे. मैं वहां गिर पड़ा. इसकी वजह से मैं अहमदपुर स्टेशन पर ही छूट गया. गार्ड ने 2 मिनट तक और ट्रेन नहीं रोकी. गार्ड पर इस हरकत के लिए भारी-भरकम जुर्माना लगाना चाहिए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो मैं यह खबर अखबार वालों को दे दूंगा.

नाराज शख्स ने लिखा लेटर

गौरतलब है कि अगर 1909 में उस वक्त अखिल चंद्र सेन के साथ ये घटना नहीं हुई होती और उन्होंने इसको गंभीरता से लेकर रेलवे के अधिकारियों को लेटर नहीं लिखा होता तो शायद कुछ और दशक ट्रेनों में टॉयलेट की सुविधा नहीं होती है. हालांकि, अब ट्रेनों में वाई-फाई समेत तमाम आधुनिक सुविधाओं से लैस है.

जान लें कि अखिल चंद्र सेन का लिखा हुआ लेटर दिल्ली के रेलवे म्यूजियम में सुरक्षित रखा हुआ है. इसी लेटर के कारण भारत की ट्रेनों में शौचायल की सुविधा मुहैया करवाई गई. ट्रेनों में बड़ा बदलाव किया गया.

Trending Articles