राष्ट्रपति चुनाव के लिए आम सहमति से विपक्षी उम्मीदवार को उतारने पर चर्चा के लिए तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज (बुधवार) बैठक बुलाई है. विपक्ष की ये बैठक राष्ट्रीय राजधानी के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में होगी. ममता की बैठक में कांग्रेस भी हिस्सा लेगी. कांग्रेस की ओर से मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश, रणदीप सिंह सुरजेवाला भाग लेंगे. 

इससे पहले मंगलवार को ममता बनर्जी और वाम नेताओं ने NCP प्रमुख शरद पवार से अलग-अलग मुलाकात की और उन्हें राष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त विपक्ष का उम्मीदवार बनाने के लिए मनाने की कोशिश की. CPI(M) महासचिव सीताराम येचुरी ने उनसे मुलाकात के बाद कहा कि पवार ने हालांकि इनकार कर दिया.

पवार ने दिल्ली में येचुरी, डी राजा और NCP नेताओं प्रफुल्ल पटेल और पीसी चाको से मुलाकात की और उन्हें चुनाव नहीं लड़ने के अपने फैसले से अवगत कराया. येचुरी ने कहा, "मुझे बताया गया है कि पवार राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष का चेहरा नहीं होंगे, अन्य नामों पर विचार किया जा रहा है."

येचुरी और डी राजा 'नाराज' 

बैठक बुलाने के तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी के ‘‘एकतरफा’’ फैसले से नाराज मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने कहा कि वे अपने सांसदों को बैठक में भेजेंगे.

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और भाकपा महासचिव डी राजा ने कहा कि टीएमसी प्रमुख द्वारा बुलाई गई बैठक में शीर्ष नेतृत्व शामिल नहीं होगा. बैठक में माकपा का प्रतिनिधित्व राज्यसभा में पार्टी के नेता ई. करीम करेंगे. दोनों वाम दलों ने इस तरह की बैठक बुलाने के बनर्जी के ‘‘एकतरफा’’ फैसले पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की है. वहीं, तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) ने भी ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों की बैठक से दूर रहने का फैसला किया है. टीआरएस कांग्रेस के साथ एक ही मंच पर नहीं दिखना चाहती.

क्या गोपालकृष्ण गांधी होंगे विपक्ष के उम्मीदवार?

राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए संयुक्त उम्मीदवार पेश करने की विपक्ष की कवायद के बीच कुछ नेताओं ने संभावित विकल्प के तौर पर पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी से संपर्क किया है. गांधी 2017 में उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार थे. हालांकि, वह चुनाव में एम वेंकैया नायडू से हार गए थे. 77 वर्षीय पूर्व नौकरशाह गोपालकृष्ण गांधी ने दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त के रूप में भी काम किया है. वह महात्मा गांधी और सी राजगोपालाचारी के पोते हैं.

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