केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा है कि वो लोगों को डरा धमका कर, प्रलोभन देकर हो रहे धर्मांतरण को गंभीर मसला मानती है. धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार में किसी दूसरे का धर्म परिवर्तन करना शामिल नहीं है. सरकार इस मसले की गम्भीरता को देखते हुए ज़रूरी कदम उठाएगी. केंद्र सरकार ने यह हलफनामा अश्विनी उपाध्याय की याचिका के जवाब में दायर किया है. याचिका में मांग की गई है कि लोगों को डरा धमका कर, प्रलोभन देकर और काला जादू /अंधविश्वास का सहारा लेकर हो रहे धर्मांतरण को रोकने के लिए क़ानून बनाया जाना चाहिए.

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने जबरन धर्मांतरण को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताते हुए सरकार से हलफनामा दायर करने को कहा था.

'किसी दूसरे के धर्म परिवर्तन का अधिकार नहीं'

केंद्र सरकार ने जवाब में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट अपने पुराने फैसलो में कह चुका है कि छल या प्रलोभन से धर्मांतरण सार्वजनिक व्यवस्था में बाधा डालने के साथ-साथ किसी व्यक्ति की अंतरात्मा की स्वतंत्रता के अधिकार को प्रभावित करता है. अपने धर्म के प्रचार के अधिकार में किसी अन्य का धर्म परिवर्तन करना शामिल नहीं है. इसलिए, राज्य इस पर कानून बनाने / प्रतिबंधित करने की अपनी शक्ति का प्रयोग कर सकता है.

9 राज्यों में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू

केंद्र का कहना है कि वो इस मसले की गंभीरता और इसको रोकने के लिए कानून की ज़रूरत को समझती है. पब्लिक ऑर्डर राज्य सूची का विषय है. 9 राज्यों ने इसको रोकने के लिए क़ानून भी बनाया है. इन राज्यों में ओडिसा, मध्यप्रदेश ,गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा शामिल हैं.

SC ने विस्तृत हलफनामा दायर करने को कहा

आज समय की कमी के चलते सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई नहीं हो सकी. जैसे ही मामला सुनवाई पर आया, वकील सजंय हेगड़े ने याचिका का विरोध किया. हेगड़े ने कहा कि वो इस मामले में सुनवाई का विरोध जताते हुए याचिका दाखिल कर रहे है. याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय पहले ही कोर्ट से अपनी यही याचिका को वापस ले चुके है. लिहाजा इस याचिका पर फिर से सुनवाई का कोई औचित्य नहीं बनता.

संजय हेगड़े की इस दलील का अश्विनी उपाध्याय और सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने विरोध किया. कोर्ट ने भी हेगड़े से पूछा कि तो क्या वो चाहते है कि जबरन धर्मांतरण जारी रहे?

बहरहाल कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वो राज्यों से जानकारी लेकर विस्तृत हलफनामा दायर करे. अभी सरकार का संक्षिप्त जवाब ही आया है. कोर्ट 5 दिसंबर को अगली सुनवाई करेगी.

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