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सुप्रीम कोर्ट ने सालों से लिव-इन में रहने के बाद महिला द्वारा पुरुष पर दुष्कर्म का केस दर्ज करने की अनुमति देने से किया इनकार

Published On July 19, 2022 01:14 AM IST
Published By : Mega Daily News

देश की अदालतें अक्सर अपने बयानों और फैसलों से सुर्ख़ियों में रहती है. कई बार अदालत कुछ ऐसे फैसले सुना देती है जिन पर हर कोई हैरान रह जाता है. फिलहाल देश की सर्वोच्च अदालत यानी कि सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन (Live in Relationship) से संबंधित एक फैसला सुनाया है.

बता दें कि सर्वोच्च अदालत ने एक ऐसे मामले में फैसला सुनाया है जिसमें एक महिला ने अपने साथ लंबे समय से लिव-इन (Live in Relationship) में रहने वाले पुरुष पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था और उस पर केस दर्ज करवा दिया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सालों से लिव-इन में रहने के बाद संबंध खराब होने पर महिला द्वारा पुरुष पर दुष्कर्म का केस (Rape Case) दर्ज करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है.

बता दें कि राजस्थान की एक महिला करीब चार साल से एक पुरुष के साथ लिव इन रिलेशनशिप में थी. दोनों बिना शादी के ही एक बेटी के माता-पिता भी बन गए. पहले दोनों के बीच सब कुछ ठीक चलता रहा हालांकि समय के साथ रिश्ता पहले जैसा नहीं रहा. दोनों के बीच अनबन होती गई और बात बिगड़ती गई.

दोनों के बीच में अनबन और विवाद होने लगा. महिला ने कानूनी कदम उठाते हुए अपने साथी के खिलाफ राजस्थान हाई कोर्ट में बलात्कार का केस दर्ज करवा दिया. पुरुष को हाईकोर्ट ने जमानत भी नहीं दी. इसके बाद मामला सर्वोच्च अदालत में पहुंचा. जहां पुरुष को न्याय मिला.

सुप्रीम कोर्ट ने कही दो टूक बात…

राजस्थान हाई कोर्ट ने जहां महिला के पक्ष में अपनी बात रखी थी तो वहीं सुप्रीम कोर्ट ने पुरुष के पक्ष में अपना फैसला सुनाया. दरअसल पुरुष ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जहां उसे न्याय मिला. इस मामले पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर दो लोग अपनी मर्जी से साथ में रहते हैं और फिर उनके संबंध खराब हो जाते हैं, तो ऐसे में पुरुष के खिलाफ बलात्कार का केस नहीं बनता.

पुरुष को मिली जमानत…

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आगे राजस्थान हाई कोर्ट की नहीं चली. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को रद्द किया और पुरुष के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उसे जमानत पर रिहा कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई में साफ़-साफ़ कहा कि इस तरह के मामलों में कई बार देखा गया है कि महिला पुरुष पर आरोप लगाती है कि उसे शादी का झांसा दिया गया और उसके साथ संबंध बनाए गए लेकिन इस स्थिति में अदालत पुरुष के खिलाफ बलात्कार का मुकदमा उचित नहीं मानती है.

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