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आइये जानते है भारत के राष्ट्रीय ध्वज का डिजाइन तैयार करने वाले पिंगली वेंकैया की जिंदगी से जुड़ी अहम बातें
देश भर में इस वक्त स्वतंत्रता दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। स्कूल, कॉलेज, दफ्तर और यहां तक कि घरों में भी लोगों के भीतर इस राष्ट्रीय त्योहार को लेकर उत्साह देखते बन रहा है। 15 अगस्त, 222 यानी कि आज, ब्रिटिश शासन से आजाद हुए हमें 75 साल पूरे हो गए हैं। इस मौके पर स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुए देश के अलग-अलग हिस्सों पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहें। इसके साथ ही देश की शान यानी कि हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जा रहा हैं। राष्ट्रीय पर्व के इस मौके पर हम आपको राष्ट्रीय ध्वज डिजाइन करने वाले पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya) के बारे में कुछ अहम बातें बताने जा रहे हैं कि, कब मिली थी उनके डिजाइन को मंजूरी और कैसी थी उनकी निजी जिंदगी तो आइए जानते हैं।
आंध्र प्रदेश में हुआ था जन्म
पिंगली वेंकैया का जन्म आंध्र प्रदेश में मछलीपट्टनम में हुआ था। 2 अगस्त 1876 को पैदा हुए पिंगली वैकेंया का जन्म एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम हनुमंतरायुडु और मां का नाम वेंकटरत्नम्मा था।उन्होंने मछलीपट्टनम में हिंदू हाई स्कूल से पढ़ाई की थी। इसके अलावा, अपना बचपन कृष्णा जिले के विभिन्न स्थानों में भी बिताया था। मद्रास से अपनी हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए थे।
19 साल में ज्वाइन की आर्मी
वैकेंया महज 19 साल की उम्र में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में सेना नायक बन गए थे। सेना में रहते दक्षिण अफ्रीका में एंग्लो-बोअर युद्ध के बीच महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) से उनकी मुलाकात हुई थी। कहते हैं कि गांधीजी से मिलकर वो इतने प्रभावित हुए थे कि हमेशा के लिए भारत लौट आए और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए थे।
पांच सालों में तैयार हुआ था डिजाइन
पिंगली वेंकैया देश के लिए कुछ करना चाहते हैं, जिसके तहत ही उन्होंने महात्मा गांधी से बताया था कि अपना राष्ट्रीय ध्वज होना चाहिए। इसके बाद गांधी जी ने पिंगली को राष्ट्रीय ध्वज डिजाइन करने की अनुमति दी थी।पिंगली वेंकैया ने साल 1916 से लेकर 1921 तक दुनियाभर के देशों के झंडों का अध्ययन किया था। इसके बाद साल 1921 में उन्होंने भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का डिजाइन किया था। वहीं इसके बाद साल 1931 में तिरंगे के डिजाइन के प्रस्ताव को पास कया था।