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रूस और अमेरिका के बीच तनातनी के बाद भी दोनों देशों के साथ भारत की जुगलबंदी कैसे

Published On August 01, 2022 09:37 AM IST
Published By : Mega Daily News

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका और रूस के बीच तनाव कैसे बढ़ता जा रहा है, यह सार्वजनिक है। लेकिन भारत इन दोनों धुर विरोधी देशों के साथ अपने संवाद को और बढ़ाता जा रहा है। पिछले हफ्ते रूस और भारत के बीच तीन स्तरों पर नई दिल्ली, मास्को और ताशकंद में वार्ता हुई। इनमें पेट्रोलियम उत्पादों के आयात से लेकर संयुक्त राष्ट्र में सहयोग जैसे मुद्दों पर वार्ता हुई। आइए इस रिपोर्ट में जानें भारत की ओर से रूस और अमेरिका दोनों मुल्‍कों से दोस्‍ती को बनाए रखने के क्‍या है मायने...

एक दूसरे के धुर विरोधी अमेरिका और रूस से लगातार संवाद बढ़ा रहा भारत

रूस के साथ नई दिल्ली, मास्को और ताशकंद में हुई वार्ता

यूएसएड प्रमुख के बाद भारत आ रहे अमेरिकी विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी

अमेरिका से रिश्‍तों की मजबूती पर जोर

दूसरी तरफ, अमेरिका के यूएसएड की प्रमुख सामंथा पावर की यात्रा के हफ्तेभर बाद ही अमेरिका की उप-विदेश मंत्री एमजे सीसान भी भारत आ रही हैं। अमेरिका के कुछ और अधिकारियों के भी अगस्त में भारत दौरे पर आने की संभावना है। शीर्ष स्तर पर भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इन दोनों देशों के राष्ट्रपतियों से अलग-अलग मौकों पर सीधा संवाद जारी रहने की संभावना है।

रूस से भी भारत के बेहतर रिश्‍ते

पिछले हफ्ते ताशकंद में विदेश मंत्री एस. जयशंकर की रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर वार्ता से पहले नई दिल्ली में रूस के राजदूत ने पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों के साथ एक बैठक की थी। यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण थी कि तमाम प्रतिबंधों को दरकिनार कर भारत लगातार रूस से कच्चा तेल खरीद रहा है।

रूस से तेल आयात कर रहा भारत

कच्चे तेल के कारोबार पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जून व जुलाई में चीन के बाद रूस से तेल खरीदने वाला भारत दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। इसकी वजह से 2022-23 में भारत-रूस द्विपक्षीय कारोबार के कई गुना बढ़ जाने की संभावना है।

रूस से द्विपक्षीय कारोबार पर जोर

सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की वार्ता में द्विपक्षीय कारोबार को वर्ष 2025 तक 30 अरब डालर ले जाने का लक्ष्य रखा गया था। वर्ष 2021 में यह 13 अरब डालर का था। कच्चे तेल के कारोबार की वजह से यह लक्ष्य अब आसानी से पूरा हो सकता है। इस वार्ता के बाद विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा की मास्को में वहां के उप-विदेश मंत्री सर्गेई वासिलविक और रूस सरकार के आर्कटिक को-आपरेशन के राजदूत निकोलाई कुर्शुनोव से अलग अलग बात हुई।

आतंकवाद के खिलाफ सहयोग पर फोकस

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के साझा एजेंडा के साथ ही यूएन में आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को ज्यादा प्रगाढ़ किस तरह से किया जाए, इस पर बातचीत हुई। इन बैठकों में आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग की नई शुरुआत करने के मुद्दे पर भी बात हुई। साफ है कि दोनों देश अपने रिश्तों को बहुआयामी बनाने में जुटे हुए हैं और इस पर कहीं से भी यूक्रेन-रूस युद्ध का असर होता नहीं दिख रहा।

अमेरिका की उप-विदेश मंत्री आ रहीं भारत

अमेरिका के विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि उप-विदेश मंत्री (अंतरराष्ट्रीय संगठन) एमजे सीसान दो अगस्त से भारत यात्रा पर आ रही हैं। यहां उनकी भारतीय अधिकारियों के साथ खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर बात होगी।

अमेरिका लगातार भारत के संपर्क में

उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते यूएसएड की प्रमुख पावर की तीन दिवसीय भारत यात्रा के दौरान उनकी प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय और नीति आयोग के अधिकारियों के साथ खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर काफी गंभीर विमर्श हुआ था। यूक्रेन-रूस के कारण विश्व के समक्ष खाद्य सुरक्षा चुनौतियों से किस तरह निपटा जाए, इस बारे में अमेरिका लगातार भारत के साथ बात कर रहा है। अमेरिका का कहना है कि इन चुनौतियों से लड़ने में भारत की भूमिका बेहद अहम होगी।

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