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खुशखबरी : खाने का तेल हुआ सस्ता, सरकार ने घटाया आयात शुल्क

Published On July 19, 2022 06:59 PM IST
Published By : Mega Daily News

नई दिल्ली: विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के भाव टूटने के बीच देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में बीते सप्ताह सरसों, सोयाबीन तेल-तिलहन और पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट दर्ज हुई। वहीं मूंगफली और कच्चे पामतेल (सीपीओ) के भाव में सुधार देखने को मिला। बाकी तेल-तिलहनों के भाव अपरिवर्तित रहे। बाजार सूत्रों ने बताया कि विदेशों में खाद्य तेलों का बाजार काफी टूटा है जो गिरावट का मुख्य कारण है। इस गिरावट की वजह से देश में आयातकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है क्योंकि उन्होंने जिस भाव पर सौदे खरीदे थे अब उसे कम भाव पर बेचना पड़ रहा है।

उन्होंने जिस सीपीओ का आयात 2,040 डॉलर प्रति टन के भाव पर किया था उसकी अगस्त खेप का मौजूदा भाव घटकर लगभग 1,000 डॉलर प्रति टन रह गया है। यानी थोक में सीपीओ (सारे खर्च व शुल्क सहित) 86.50 रुपये किलो होगा। उल्लेखनीय है कि लाखों टन सीपीओ तेल आयात होने की प्रक्रिया में हैं। दूसरी ओर सरसों का इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लगभग 5,050 रुपये क्विंटल था, जो अगली बिजाई के समय 200-300 रुपये क्विंटल के बीच बढ़ने का अनुमान है। उस हिसाब से सरसों तेल का थोक भाव आगामी फसल के बाद लगभग 125-130 रुपये किलो रहने का अनुमान है। अब जब बाजार में सीपीओ तेल लगभग 86.50 रुपये किलो होगा तो 125-130 रुपये में सरसों की खपत कहां होगी।

सूत्रों ने कहा कि तेल-तिलहन में आत्मनिर्भर होने के बजाय देश आयात पर ही निर्भर होता दिख रहा है। देश के प्रमुख तेल-तिलहन संगठनों को सरकार से खाद्य तेलों का शुल्क-मुक्त आयात करने की मांग करने के बजाय उचित सलाह देकर तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने और आत्मनिर्भरता पाने की ओर प्रेरित करना चाहिये। उनकी यह जिम्मेदारी भी बनती है कि वे समय समय पर सरकार को बतायें कि कौन सा फैसला देश के तिलहन उत्पादकों के हित में है और कौन उसके नुकसान में है।

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