पूर्वी लद्दाख इलाके में 2 साल पहले शुरू हुए चीनी अतिक्रमण के बाद से भारत का रुख उसके प्रति सख्त हो चुका है. अब वह उसकी किसी भी गलती को बख्शने के मूड में नहीं है. मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार को मोबाइल कंपनी वीवो (Vivo) समेत चीन की कई कंपनियों पर छापे मारे. देश के 22 राज्यों में बने 44 ठिकानों पर हुई इस छापेमारी से चीनी कंपनियों में खलबली मच गई और कुछ डायरेक्टर भारत छोड़कर भाग गए. इस दौरान अधिकारियों ने कई कागजात अपने कब्जे में लिए और कंपनियों के काम करने के तरीकों की पूरी पड़ताल की. 

भारत छोड़कर भाग गए 2 डायरेक्टर

सूत्रों के मुताबिक, वीवो कंपनी के हिमाचल प्रदेश के सोलन प्लांट में काम करने वाले 2 चीनी डायरेक्टर ED की रेड से इतना खौफजदा हुए कि देश छोड़कर भाग गए. ईडी ने कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर रखा है. ऐसे में कंपनी के डायरेक्टरों को खुद के गिरफ्तार होने का डर था. जिसे देखते हुए वे गुपचुप तरीके से अपने देश भाग गए. 

लंबे वक्त से चल रहा था गोरखधंधा

सूत्रों के मुताबिक भारत का पैसा सुनियोजित तरीके से चीन भेजने का गोरखधंधा लंबे समय से चल रहा था. इसके लिए फर्जी दस्तावेजों के सहारे चीनी नागरिकों को भारत में काम करने वाली चीनी कंपनियों का डायरेक्टर बनाया जाता था. उसके बाद धीरे-धीरे कंपनी का पैसा अवैध तरीके से बाहर पहुंचा दिया जाता था. जांच से जुड़े सूत्रों का कहना है कि ईडी की जांच में अब तक 10 हजार करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग की जानकारी मिल चुकी है. यानी कि इतना पैसा गलत तरीके से देश से बाहर पहुंचाया जा चुका है.

सीबीआई भी कर रही है जांच

एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक इस मामले में जांच चल रही है और अभी कई और बड़ी जानकारियां निकलकर सामने आएंगी.  सूत्रों ने कहा कि मामले में बाद में और जानकारी सामने आएगी. सीबीआई भी मामले की जांच कर रही है और अलग से प्राथमिकी दर्ज की है. ईडी के साथ ही CBI भी इस मामले की जांच कर रही है और उसने चीनी कंपनियों के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अलग से एफआईआर दर्ज की है.

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